आईआईटी रुड़की ने ‘स्कूल ऑफ डेटा साइंस एंड एआई’ स्थापित करने के लिए किया समझौता

आईआईटी रुड़की ने ‘स्कूल ऑफ डेटा साइंस एंड एआई’ स्थापित करने के लिए किया समझौता

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  • Publish Date - September 28, 2021 / 08:05 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:31 PM IST

नयी दिल्ली, 28 सितंबर (भाषा) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), रुड़की ने संस्थान में ‘मेहता फैमिली स्कूल ऑफ डेटा साइंस एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ की स्थापना के लिए मेहता फैमिली फाउंडेशन (एमएफएफ), अमेरिका के साथ समझौता किया है।

केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजयराघवन की उपस्थिति में दोनों संगठनों के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर आईआईटी रुड़की के निदेशक अजीत के चतुर्वेदी और मेहता फैमिली फाउंडेशन, अमेरिका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राहुल मेहता ने हस्ताक्षर किए।

विजयराघवन ने कहा, ‘‘कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) के क्षेत्र में अनुसंधान और प्रशिक्षण हमारे भविष्य की कुंजी है। एआई प्रौद्योगिकियां भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं और आने वाले वर्षों में इसका महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक प्रभाव पड़ेगा। आईआईटी रुड़की और एमएफएफ के बीच अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक सहयोग यह सुनिश्चित करने के लिए एक सराहनीय प्रयास है कि भारत अपने नवाचार को आगे बढ़ाना जारी रखे।’’

इस सहयोग के तहत, नया स्कूल (केंद्र) स्नातक, परास्नातक और डॉक्टरेट डिग्री कार्यक्रमों की पेशकश करेगा। स्कूल सितंबर 2022 में स्नातक डिग्री छात्रों के अपने पहले समूह का स्वागत करेगा। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस स्कूल का उद्देश्य डेटा विज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्रों में नयी और कुशल जनशक्ति विकसित करना है। साथ ही, इन क्षेत्रों में प्रशिक्षण और प्रमाणन प्रदान करके मौजूदा जनशक्ति को सशक्त बनाना है।

आईआईटी रुड़की परिसर में इस स्कूल का संचालन एमएफएफ के सहयोग से विकसित एक नए समर्पित भवन में होगा। बुनियादी ढांचे के अलावा एआई के क्षेत्र में प्रसिद्ध विशेषज्ञ इस स्कूल का पाठ्यक्रम तैयार करने, संकाय भर्ती, निगरानी और नए शोध विचारों का सुझाव देने में सक्रिय रूप से भाग लेंगे।

मेहता फैमिली फाउंडेशन के सीईओ राहुल मेहता ने कहा, ‘‘एआई संचालित प्रौद्योगिकियां तेजी से हमारी दुनिया को बदल रही हैं। अंतरराष्ट्रीय संकाय और आईआईटी रुड़की के बीच इस तरह के अकादमिक सहयोग से ऐसे पेशेवर लोग तैयार होंगे जो जलवायु परिवर्तन, टिकाऊ संसाधन और सुरक्षा जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान सुझाएंगे।’’

भाषा आशीष नरेश

नरेश