किश्तवाड़ में बादल फटने से प्रभावित गांव में लापता लोगों की तलाश के लिए अभियान जारी

किश्तवाड़ में बादल फटने से प्रभावित गांव में लापता लोगों की तलाश के लिए अभियान जारी

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  • Publish Date - August 20, 2025 / 08:06 PM IST,
    Updated On - August 20, 2025 / 08:06 PM IST

चशोती (जम्मू-कश्मीर), 20 अगस्त (भाषा) जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में बादल फटने से प्रभावित चशोती गांव में विस्तारित तलाश अभियान बुधवार को सातवें दिन भी जारी रहा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

गृह विभाग के प्रधान सचिव चंद्राकर भारती ने जमीनी हालात का आकलन करने के बाद विभिन्न एजेंसियों की बैठक की अध्यक्षता की।

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के उन 10 अधिकारियों में भारती पहले अधिकारी हैं जिन्हें उपराज्यपाल ने पिछले आठ दिनों में आपदा प्रभावित इलाके का दौरा कर राहत एवं बचाव अभियानों की निगरानी करने का निर्देश दिया है।

अधिकारियों ने बताया कि 14 अगस्त को मचैल माता यात्रा के दौरान चशोती गांव में बादल फटने से अब तक 65 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के तीन जवान और जम्मू-कश्मीर पुलिस का एक विशेष अधिकारी (एसपीओ) शामिल हैं। इस आपदा में 100 से अधिक लोग घायल हुए, जबकि 39 लोग अब भी लापता हैं।

राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘सातवें दिन की तलाश सुबह बारिश के बीच शुरू हुई, लेकिन बाद में मौसम साफ होने पर बचावकर्मी विभिन्न स्थानों पर फैल गए और मलबे में दबे या धारा में बह गए लोगों की तलाश शुरू की।’’

अधिकारी ने बताया कि पिछले दो दिनों में दो शव बरामद होने के बाद मंगलवार को तलाशी अभियान को चशोती से गुलाबगढ़ तक पूरे 22 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में बढ़ा दिया गया।

बचाव दल कई स्थानों पर भारी मशीनों, श्वान दस्ते और अन्य उपकरणों की मदद से मलबा हटाकर खोज अभियान चला रहे हैं।

प्रधान सचिव (गृह) ने बुधवार को किश्तवाड़ शहर में वरिष्ठ प्रशासनिक, पुलिस, सेना और अर्धसैनिक अधिकारियों के साथ बैठक की।

भारती ने मंगलवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा जारी आदेश के बाद घटनास्थल का दौरा किया और जमीनी स्थिति का व्यापक आकलन किया।

अधिकारी ने स्थानीय निवासियों तथा बचावकर्मियों और नागरिक प्रशासन टीमों के साथ विस्तृत बातचीत की। इसके अलावा राहत उपायों की पहुंच समय पर सुनिश्चित करने के लिए प्रभावित परिवारों की तत्काल आवश्यकताओं का मूल्यांकन किया।

उन्होंने कहा कि सभी विभागों और एजेंसियों को त्वरित, समन्वित और सतत प्रयास करने होंगे, ताकि बचाव और राहत कार्य संभव हो सके।

अधिकारियों ने बताया कि बादल फटने से आई बाढ़ ने चशोती गांव में भारी तबाही मचाई, अस्थायी बाजार और मचैल माता यात्रा का लंगर स्थल बह गया।

बाढ़ में 16 मकान और सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, 30 मीटर लंबा पुल और दर्जनभर से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।

पुलिस, सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), नागरिक प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवक संयुक्त रूप से राहत और बचाव कार्यों में लगे हुए हैं।

सेना के इंजीनियरों ने रविवार को चशोती नाले पर ‘बेली ब्रिज’ बनाकर गांव और मचैल माता मंदिर तक पहुंच बहाल की।

अधिकारियों ने बताया कि बचाव दल ने तलाश अभियान में बाधा डाल रहे बड़े पत्थरों को हटाने के लिए आधा दर्जन से अधिक नियंत्रित विस्फोट भी किए।

वार्षिक मचैल माता यात्रा (जो 25 जुलाई से शुरू हुई थी और पांच सितंबर तक चलनी थी) लगातार सातवें दिन बुधवार को भी निलंबित रही। हालांकि जम्मू से ‘छड़ी’ लेकर निकलने वाले श्रद्धालुओं के जत्थे को 21 या 22 अगस्त को मंदिर पहुंचने की अनुमति दी जाएगी।

करीब 9,500 फुट ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 8.5 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा चशोती से शुरू होती है, जो किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर है।

भाषा राखी सुरेश

सुरेश