जल संकट का बढ़ा ख़तरा ! इस साल तक हो सकती है ताजे पानी की भारी किल्लत, रिसर्च में आए चौंकाने वाले खुलासे

जल संकट का बढ़ा ख़तरा ! इस साल तक हो सकती है ताजे पानी की भारी किल्लत, रिसर्च में आए चौंकाने वाले खुलासे Increased threat of water crisis!

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  • Publish Date - August 17, 2022 / 06:13 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:31 PM IST

Increased threat of water crisis: नई दिल्ली। उत्तर भारत के कई क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 2060 तक ताजे पानी की उपलब्धता में अपरिवर्तनीय स्तर पर कमी का सामना कर सकते हैं। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। अंतरराष्ट्रीय अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम ने रेखांकित किया कि एशिया का ‘‘वाटर टॉवर’’ कहलाने वाला तिब्बत का पठार निचले प्रवाह क्षेत्र में रह रही करीब दो अरब आबादी को ताजा पानी की आपूर्ति करता है।

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जर्नल ‘नेचर क्लाइमेट चेंज’ में सोमवार को प्रकाशित इस अध्ययन में इंगित किया गया है कि कमजोर जलवायु नीति की वजह से क्षेत्र में ताजे पानी की उपलब्धता में अपरिवर्तनीय कमी आ सकती है।

उत्तर भारत के कई क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 2060 तक ताजे पानी की उपलब्धता में अपरिवर्तनीय स्तर पर कमी का सामना कर सकते हैं। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। अंतरराष्ट्रीय अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम ने रेखांकित किया कि एशिया का ‘वाटर टावर’ कहलाने वाला तिब्बत का पठार निचले प्रवाह क्षेत्र में रह रही करीब दो अरब आबादी को ताजा पानी की आपूर्ति करता है।

कमजोर जलवायु नीति की वजह से क्षेत्र में ताजे पानी की उपलब्धता में अपरिवर्तनीय कमी आ सकती है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि इससे मध्य एशिया और अफगानिस्तान में जलापूर्ति प्रणाली पूरी तरह से ध्वस्त हो सकती है जबकि उत्तर भारत और पाकिस्तान की जलापूर्ति प्रणाली सदी के मध्य में ध्वस्त होने के करीब पहुंच सकती है।

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Increased threat of water crisis : ये सब खतरनाक भविष्य की ओर इशारा कर रहे हैं। इस बीच उत्तर भारत के लिए एक चिंताजनक खबर सामने आई है। कहा जा रहा है कि देश के उत्तरी हिस्से में अगले तीन-चार दशकों में ताजा पानी का अकाल पड़ सकता है। यानी, लोग पीने के पानी को लिए तरसेंगे। तब जो स्थिति पैदा होगी, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। ये बातें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए एक अध्ययन के बाद तैयार की गई रिपोर्ट में कही गईं हैं।

वर्ष 2060 तक देश में बढ़ सकती हैं मुश्किलें
रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 2060 तक ताजे पानी की उपलब्धता में कमी आ सकती है। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। अंतरराष्ट्रीय अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम ने रेखांकित किया कि एशिया का वाटर टवर कहलाने वाला तिब्बत का पठार निचले प्रवाह क्षेत्र में रह रही करीब दो अरब आबादी को ताजा पानी की आपूर्ति करता है। जर्नल ‘नेचर क्लाइमेट चेंज’ में सोमवार को प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है कि कमजोर जलवायु नीति की वजह से क्षेत्र में ताजे पानी की उपलब्धता में अपरिवर्तनीय कमी आ सकती है।

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बल वार्मिंग के कारण हो रही दिक्कत
अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि हाल के दशकों मे हुए जलवायु परिवर्तन की वजह से कई इलाकों में स्थलीय जल भंडार में (15.8 गीगाटन प्रति वर्ष की दर से) भारी कमी आ रही है जबकि कुछ इलाकों में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि (5.6 गीगाटन प्रति वर्ष की दर से) हो रही है। उन्होंने बताया कि यह संभवत: ग्लेशियरों के पीछे खिसकने, मौसमी रूप से जमी हुई जमीन के क्षरण होने और झीलों के विस्तार के प्रतिस्पर्धी प्रभाव की वजह से हो रहा है।

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