नयी दिल्ली, 17 मार्च (भाषा) अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी क्लाइमेट ग्रुप की मुख्य कार्यकारी अधिकारी हेलेन क्लार्कसन ने कहा कि भारत ने हाल के सालों में यह समझा है कि आर्थिक विकास के लिए उच्च कार्बन उत्सर्जन पर निर्भर होना जरूरी नहीं है।
क्लार्कसन ने कहा कि भारत का सौर ऊर्जा मिशन और 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य काफी महत्वाकांक्षी है।
क्लाइमेट ग्रुप न्यूयॉर्क शहर में जलवायु सप्ताह का आयोजन करता है, जो एक प्रमुख वैश्विक जलवायु कार्यक्रम है, जिसमें व्यापार, प्रौद्योगिकी, राजनीति, शिक्षा और नागरिक समाज से जुड़े लोग शामिल होते हैं।
क्लार्कसन ने ‘पीटीआई -भाषा’ के साथ बातचीत के दौरान कहा कि भारत ने 2070 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है, लेकिन इसके लिए और अधिक महत्वाकांक्षी होने की आवश्यकता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को अपने शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को आगे बढ़ाने में अन्य देशों के साथ तालमेल बिठाना चाहिए।
क्लार्कसन ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि भारत और ज्यादा महत्वाकांक्षी कदम उठाए।’
उन्होंने कहा,’ भारत ने 2070 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य रख रहा है। हम चाहते हैं कि भारत यह लक्ष्य जल्दी हासिल करे और दूसरे देशों के साथ मिलकर तालमेल बिठाए।’
क्लार्कसन ने कहा कि भारत ने हाल के सालों में यह समझा है कि जीवाश्म ईंधन पर निर्भर हुए बिना आर्थिक विकास हासिल किया जा सकता है और राष्ट्रीय सौर मिशन की सफलता दर्शाती है कि आर्थिक और जलवायु लक्ष्यों को एक साथ आगे बढ़ाया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में भारत में जो बदलाव आया है, वह यह है कि अब यह समझ बेहतर हुई है कि आर्थिक विकास के लिए उच्च कार्बन उत्सर्जन जरूरी नहीं है, और विशेष रूप से सौर मिशन बहुत सफल रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘भारत में पिछले कुछ वर्षों में जो बदलाव आया है, वह यह है कि अब यह समझा गया है कि आर्थिक विकास के लिए उच्च कार्बन उत्सर्जन पर निर्भर रहना जरूरी नहीं है।’
भाषा
योगेश रंजन
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