भारत शांति में विश्वास करता है लेकिन संप्रभुता और सुरक्षा से समझौता नहीं करता: राजनाथ

भारत शांति में विश्वास करता है लेकिन संप्रभुता और सुरक्षा से समझौता नहीं करता: राजनाथ

  •  
  • Publish Date - November 28, 2025 / 10:32 PM IST,
    Updated On - November 28, 2025 / 10:32 PM IST

नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत शांति और वार्ता में विश्वास करता है, लेकिन जब राष्ट्र की संप्रभुता और सुरक्षा की बात आती है, तो वह कोई ‘‘समझौता’’ नहीं करता।

उन्होंने चाणक्य रक्षा संवाद में कहा, ‘‘भारत की आर्थिक प्रगति, प्रौद्योगिकी क्षमताओं और सिद्धांतों का पालन करने वाली विदेश नीति ने इसे बदलते वैश्विक परिवेश में संतुलन और जिम्मेदारी की आवाज़ बना दिया है, और हिंद-प्रशांत तथा ‘ग्लोबल साउथ’ के देश हमें एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में देखते हैं।’’

‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य ऐसे देशों से है जिनका आर्थिक और औद्योगिक विकास अपेक्षाकृत कम हुआ है।

सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भू-राजनीतिक अनिश्चितता और आतंकवाद, चरमपंथी तत्वों को सीमा पार से समर्थन, यथास्थिति को बदलने के प्रयास, समुद्री क्षेत्र में दबाव और यहां तक ​​कि सूचना युद्ध जैसी चुनौतियों के लिए निरंतर सतर्कता की आवश्यकता है तथा सैन्य सुधार एक विकल्प के बजाय एक रणनीतिक आवश्यकता बनते जा रहे हैं।

सिंह ने कहा कि भारत जिम्मेदारी की भावना, रणनीतिक स्वायत्तता और सभ्यतागत मूल्यों में निहित आत्मविश्वास के साथ वैश्विक चर्चाओं को आकार दे रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत शांति और संवाद में विश्वास करता है, लेकिन जब बात लोगों की संप्रभुता और सुरक्षा की आती है, तो हम कोई समझौता नहीं करते।’’

उन्होंने कहा कि भारत ने अग्रणी सुधारों और राष्ट्रों की संप्रभुता के सम्मान तथा नियम-आधारित व्यवस्था के प्रति अपने निरंतर रुख के कारण वैश्विक विश्वास अर्जित किया है।

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘हम सुरक्षा और संपर्क को मजबूत करने के लिए सीमा और समुद्री बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहे हैं। हम नये प्लेटफ़ॉर्म और प्रौद्योगिकियों और ढांचों के माध्यम से अपनी सेना का आधुनिकीकरण कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम गति, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए खरीद प्रक्रियाओं में सुधार कर रहे हैं। आत्मनिर्भरता के माध्यम से, हम एक रक्षा औद्योगिक परिवेश का निर्माण कर रहे हैं जो नवाचार को प्रोत्साहित करता है, उद्योग का समर्थन करता है और बाहरी निर्भरता को कम करता है।’’

सिंह ने कहा कि भारत स्टार्ट-अप, ‘‘डीप-टेक’’ क्षमताओं और अनुसंधान एवं विकास में निवेश कर रहा है, जो भविष्य के युद्धक्षेत्रों को आकार देंगे।

‘डीप-टेक’ से तात्पर्य उन कंपनियों और स्टार्टअप से है, जो महत्वपूर्ण वैज्ञानिक या इंजीनियरिंग नवाचार, जैसे कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), क्वांटम कंप्यूटिंग या जैव प्रौद्योगिकी पर आधारित हैं।

रक्षा मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सशस्त्र बलों की क्षमता, तत्परता, संयम और दृढ़ता ही वह प्रेरक शक्ति है जो भारत को अपने पड़ोस की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाती है और साथ ही क्षेत्रीय स्थिरता में भी योगदान देती है।

सिंह ने कहा कि सशस्त्र बलों का योगदान सीमाओं की रक्षा से कहीं आगे तक है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सशस्त्र बल वहां स्थिरता लाते हैं जहां इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। वे आपदा के समय नागरिक प्राधिकारों को सहयोग करते हैं। वे हमारे समुद्री हितों की रक्षा करते हैं। वे संयुक्त अभ्यास और शांति स्थापना के माध्यम से हमारी अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को मज़बूत करते हैं।’’

सिंह ने कई डिजिटलीकरण और हरित पहल की भी शुरूआत की, जिसमें ‘प्रोजेक्ट एकम’ भी शामिल है, जो सशस्त्र बलों के लिए स्वदेशी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) समाधान विकसित करने की एक रणनीतिक पहल है।

रक्षा मंत्री ने भारतीय सेना के लिए अत्याधुनिक सैन्य जलवायु विज्ञान एप्लीकेशन ‘प्रक्षेपण’ का भी अनावरण किया।

भाषा सुभाष माधव

माधव