भारत जीवनशैली से उपजी हृदय संबंधी समस्याओं के ‘टाइम बम’ का सामना कर रहा : विशेषज्ञ

भारत जीवनशैली से उपजी हृदय संबंधी समस्याओं के ‘टाइम बम’ का सामना कर रहा : विशेषज्ञ

  •  
  • Publish Date - September 27, 2025 / 08:41 PM IST,
    Updated On - September 27, 2025 / 08:41 PM IST

नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने शनिवार को कहा कि भारत जीवनशैली से उपजी हृदय संबंधी समस्याओं के ‘टाइम बम’ का सामना कर रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश में दिल की बीमारियों से होने वाली अधिकांश असामयिक मौतों को समय पर जांच, शीघ्र इलाज और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर टाला जा सकता है।

विशेषज्ञों ने बताया कि मानव हृदय आकार में मुट्ठी से बड़ा नहीं होता और 70 साल की उम्र तक 2.5 अरब से अधिक बार धड़कता है। उन्होंने कहा कि मानव हृदय बीमारियों का मुकाबला करने में सक्षम होता है, लेकिन यह अनुपचारित जोखिम कारकों से पहुंचने वाले नुकसान को नहीं टाल सकता है।

हृदय रोग विशेषज्ञों ने 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस से पहले भारत में हृदय रोग (सीवीडी) के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जताई।

हृदय रोग वैश्विक स्तर पर हर साल 2.05 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान लेते हैं, जिनमें से 85 फीसदी मौतें दिल के दौरे और स्ट्रोक के कारण होती हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक, हैरत की बात यह है कि समय पर जांच, शीघ्र उपचार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर लगभग 80 फीसदी असामयिक मौतों को टाला जा सकता है।

‘फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट’ के हृदय विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. अशोक सेठ ने कहा कि मोटापे, मधुमेह और उच्च रक्तचाप की बढ़ती समस्या तथा धूम्रपान, अस्वस्थ खानपान एवं शारीरिक असक्रियता के कारण युवाओं के हृदय रोगों का शिकार होने की आशंका बढ़ रही है।

उन्होंने कहा, “चार दशक तक मरीजों का इलाज करने के बाद मैं यकीन के साथ कह सकता हूं कि धमनियों में रक्त के प्रवाह को बाधित करने वाला महज एक ‘ब्लॉकेज’ मिनटों में जीवन छीन सकता है।”

डॉ. सेठ ने कहा, “दुखद बात यह है कि ज्यादातर दिल के दौरे अचानक नहीं आते। लोग अक्सर कई दिनों या हफ्तों पहले ही सीने में ऐंठन, सांस लेने में तकलीफ या बिना किसी कारण के थकान की शिकायत महसूस करते हैं। समस्या यह है कि इन लक्षणों को तब तक नजरअंदाज किया जाता है, जब तक कि बहुत देर न हो जाए। विश्व हृदय दिवस हमें याद दिलाता है कि लक्षणों को जल्दी पहचानकर और तुरंत कार्रवाई करके जिंदगी बचाई जा सकती है।”

‘फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट’ में ‘इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी’ के अध्यक्ष और कैथ लैब के प्रमुख डॉ. अतुल माथुर ने बताया कि भारत में लोगों में दिल की बीमारियों का जोखिम क्यों बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा, “हम मोटापे, मधुमेह और उच्च रक्तचाप की एक खतरनाक तिकड़ी देख रहे हैं। ये तीनों स्थितियां समय के साथ धमनियों को चुपचाप नुकसान पहुंचाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप अचानक ‘ब्लॉकेज’ पैदा होता है। फिर भी, इस जोखिम को पलटा जा सकता है।”

डॉ. माथुर ने कहा, “नियमित कसरत, वजन पर नियंत्रण, तंबाकू से परहेज, संतुलित खानपान और नियमित जांच दिल के दौरे के खिलाफ शक्तिशाली सुरक्षा कवच हैं। भारत को बीमारी का इलाज करने के बजाय उसकी रोकथाम की प्रवृत्ति विकसित करने की जरूरत है।”

भाषा पारुल प्रशांत

प्रशांत