भारत की मेजबानी में बृहस्पतिवार को शुरू होगा दो-दिवसीय डिजिटल ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन

भारत की मेजबानी में बृहस्पतिवार को शुरू होगा दो-दिवसीय डिजिटल ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन

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  • Publish Date - January 11, 2023 / 08:05 PM IST,
    Updated On - January 11, 2023 / 08:05 PM IST

नयी दिल्ली, 11 जनवरी (भाषा) भारत की मेजबानी में बृहस्पतिवार से शुरू होने वाली ‘‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’’ डिजिटल शिखर सम्मेलन में विकासशील देश महत्वपूर्ण मुद्दों एवं चुनौतियों पर अपने हितों, चिंताओं और प्राथमिकताओं को रखेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस शिखर बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे, जिसके बाद इसमें भाग ले रहे देशों के नेताओं का संक्षिप्त संबोधन होगा।

भारत 12-13 जनवरी को डिजिटल माध्यम से ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहा है, जिसमें यूक्रेन संघर्ष के कारण उत्पन्न खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा सहित विभिन्न वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर विकासशील देशों को अपनी चिंताएं साझा करने का मौका मिलेगा।

इस शिखर बैठक में अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, मध्य एशिया, पश्चिम एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया सहित विभिन्न क्षेत्रों से कई देशों के हिस्सा लेने की संभावना है।

भारत ऐसे समय में यह शिखर बैठक आयोजित कर रहा है जब अफ्रीका एवं लैटिन अमेरिका में चीन अपना आर्थिक प्रभाव बढ़ाने का सतत प्रयास कर रहा है।

विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने पिछले सप्ताह संवाददाताओं को बताया था कि इस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए 120 देशों को आमंत्रित किया गया है। इस सम्मेलन का मुख्य विषय ‘यूनिटी ऑफ वॉयस, यूनिटी ऑफ पर्पज’ है।’’

उन्होंने कहा था कि इस शिखर सम्मेलन की संकल्पना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘‘सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास’’ तथा भारत के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के मंत्र से प्रेरित है।

उन्होंने कहा था, ‘‘भारत विकासशील विश्व की आवाज एवं चिंताओं को वैश्विक मंच पर रखने में सबसे आगे रहा है। पिछले समय में कोविड-19 महामारी और यूक्रेन संघर्ष का दुनिया के देशों पर प्रभाव पड़ा है। इससे खाद्य, ईंधन और उर्वरकों तक पहुंच प्रभावित हुई है।’’

क्वात्रा ने कहा था कि कर्ज और मुद्रास्फीति का दबाव भी अर्थव्यवस्थाओं के ढांचागत मानदंडों पर दिखाई दिया है, ऐसे में इस सम्मेलन में विकासशील देशों को अपने मुद्दों, चिंताओं और प्राथमिकताओं को रखने का मौका मिलेगा।

यह पूछे जाने पर कि इस सम्मेलन में भारत के किन-किन पड़ोसी देशों को आमंत्रित किया गया है, क्वात्रा ने कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया था।

इस डिजिटल शिखर बैठक में 10 सत्र होंगे, जिनमें दो सत्र शासनाध्यक्ष-स्तरीय होंगे, जबकि आठ सत्र मंत्री-स्तरीय होंगे।

शासनाध्यक्षों के स्तर के सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल रहेंगे। शिखर बैठक में आठ मंत्री-स्तरीय सत्र में सहयोगी देशों के मंत्री भी हिस्सा लेंगे।

राष्ट्राध्यक्ष-स्तरीय सत्र की शुरुआत 12 जनवरी को होगी। इसका विषय ‘‘मानव केंद्रित विश्व के लिए विकासशील देशों की आवाज’’ होगा।

मंत्री-स्तरीय सत्र के तहत वित्त मंत्री-स्तरीय सत्र का विषय ‘‘लोक केंद्रित विकास का वित्त पोषण’ होगा।

क्वात्रा ने कहा था कि विकास की यात्रा का मुख्य बिन्दु यह है कि विकास का वित्त-पोषण कैसे किया जाए, कैसे कर्ज के जाल से बचें तथा अपनी विकास सहायता का ढांचा किस प्रकार से तैयार करें और वित्तीय समावेशन कैसे सुनिश्चित करें।

उन्होंने कहा था, ‘‘स्वाभाविक है कि हर देश चाहेगा कि विकास की वित्तीय जरूरतों की पूर्ति में वह ऋण के बोझ तले न दबे। ऐसे में विकासशील देश विकास की क्षमताओं, परिप्रेक्ष्य और अपने अनुभवों को शिखर बैठक में साझा करेंगे।’’

पर्यावरण मंत्री-स्तरीय सत्र का विषय ‘‘पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली के साथ वृद्धि का संतुलन’’ होगा, जबकि विदेश मंत्री-स्तरीय सत्र का विषय ‘विकासशील देशों को प्रोत्साहित करने के लिए उपयुक्त माहौल’ होगा।

सम्मेलन के दूसरे दिन 13 जनवरी को पांच सत्रों का आयोजन होगा।

इसमें ऊर्जा मंत्री-स्तरीय सत्र का विषय ‘ऊर्जा सुरक्षा एवं विकास: समृद्धि की रूपरेखा’ होगा। स्वास्थ्य मंत्री-स्तरीय सत्र का विषय है- ‘टिकाऊ स्वास्थ्य ढांचा तैयार करने के लिए सहयोग’। शिक्षा मंत्रियों के सत्र का विषय ‘विकासशील देशों के परिप्रेक्ष्य में मानव केंद्रित विकास एवं क्षमता निर्माण’ है।

वहीं, वाणिज्य एवं कारोबार मंत्री-स्तरीय सत्र का विषय ‘विकासशील देशों में सुरक्षा विकास: कारोबार, पर्यटन, प्रौद्योगिकी एवं संसाधन’ होगा।

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दीपक सुरेश

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