नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने यहां कहा कि भारत छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर जैसी नयी प्रौद्योगिकयों पर काम कर रहा है, जिन्हें कारखाने में बनाया जा सकता है और इनसे स्वच्छ ऊर्जा जैसा बदलाव लाने में मदद मिल सकती है।
सिंह ने पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में यह भी कहा कि सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ संयुक्त उद्यमों के लिए परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को खोल दिया है, लेकिन निजी क्षेत्र के लिए नहीं।
छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर), 300 मेगावाट तक की क्षमता के साथ डिजाइन में लचीले होते हैं और इनके लिए छोटे क्षेत्र की आवश्यकता होती है। सचल और त्वरित प्रौद्योगिकी होने के कारण एसएमआर को पारंपरिक परमाणु रिएक्टरों के विपरीत कारखाने में निर्मित किया जा सकता है। पारपंरिक परमाणु रिएक्टरों को संबंधित स्थल पर ही बनाना होता है।
हाल ही में नीति आयोग की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि चूंकि कई एसएमआर डिजाइन विभिन्न देशों में अनुसंधान, विकास और लाइसेंसिंग के विभिन्न चरणों में हैं, इसलिए वैश्विक नियामक सामंजस्य, विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना और सार्वजनिक और साथ ही निजी पूंजी लाया जाना एसएमआर उद्योग के लिए विकास की एक कुंजी होगा।
सिंह ने कहा, ‘हम पहले से ही इस पर काम कर रहे हैं। मुझे लगता है कि जैसे-जैसे समय आएगा, हमें दुनिया के साथ आगे बढ़ना होगा। हमारे द्वार नयी प्रौद्योगिकियों के लिए खुले हैं और हम उन्हें बहुत तेजी से अपना रहे हैं।’
मंत्री ने कहा कि पहली बार मोदी सरकार ने ‘‘फ्लीट मोड’’ के तहत 10 परमाणु रिएक्टर बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय नाभिकीय ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) देश में लगभग सभी परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण और संचालन करती है।
वर्ष 2015 में, सरकार ने परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन किया ताकि परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं के निर्माण के लिए एनपीसीआईएल और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के बीच संयुक्त उद्यम को सक्षम बनाया जा सके।
सिंह ने कहा, ‘पहले वे किसी के साथ साझेदारी नहीं कर रहे थे। इसलिए हमारे सामने संसाधनों, वित्त को लेकर स्वाभाविक रूप से अड़चनें थीं। अब, हमारे पास पहले से ही इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और राष्ट्रीय तापविद्युत निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) के साथ दो महत्वपूर्ण साझेदारियां हैं। हम उस दिशा में आगे बढ़े हैं, हालांकि अभी तक यह निजी क्षेत्र के साथ नहीं है।’
भाषा
नेत्रपाल नरेश
नरेश
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