हिंद-प्रशांत अवधारणा दबदबा बढ़ाने के दृष्टिकोण की अस्वीकृति : जयशंकर

हिंद-प्रशांत अवधारणा दबदबा बढ़ाने के दृष्टिकोण की अस्वीकृति : जयशंकर

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  • Publish Date - November 20, 2020 / 12:17 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:20 PM IST

नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि हिंद-प्रशांत अवधारणा दबदबा बढ़ाने के दृष्टिकोण की अस्वीकृति है तथा यह भी जाहिर करती है कि कुछ देशों के फायदे के लिए विश्व को रोका नहीं जा सकता।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि हिंद-प्रशांत अतीत का नहीं, बल्कि भविष्य का संकेत है और ‘‘शीत युद्ध की मानसिकता वालों को ऐसे इरादों को देखना होगा।’’

क्षेत्र में चीनी सेना के बढ़ते दखल की पृष्ठभूमि में विदेश मंत्री का यह बयान आया है । चीन की वर्चस्ववादी नीतियों पर इन दिनों कई अग्रणी वैश्विक ताकतों के बीच चर्चा चल रही है ।

जयशंकर ने कहा कि हालिया समय में हिंद-प्रशांत की विचारधारा की मान्यता बढ़ रही है और इस पर आसियान का नजरिया भी उल्लेखनीय कदम है ।

‘हिंद-प्रशांत और कोविड-19 संकट’ विषय पर आयोजित सत्र में जयशंकर ने कहा, ‘‘विभिन्न देशों के अलावा हाल में हमने जर्मनी, फ्रांस और नीदरलैंड को भी यह दृष्टिकोण अपनाते देखा है। समय की मांग है कि इसे व्यावहारिक आकार दिया जाए। यह क्वाड की तरह विविध स्तर पर राजनयिकों के बीच विचार-विमर्श के जरिए हो सकता है। ’’

उन्होंने कहा,‘‘यह समुद्री सुरक्षा, समुद्री पारिस्थितिकी, समुद्री संसाधन, क्षमता निर्माण और संसाधन का बंटवारा, आपदा का जोखिम घटाने और प्रबंधन के सात स्तंभों पर आधारित है।’’

जयशंकर ने कहा कि किसी भी नजरिए से हिंद-प्रशांत क्षेत्र वर्तमान हकीकत की ज्यादा समकालीन व्याख्या है और ऐसे परिदृश्य में व्यापक सहयोग की जरूरत है ।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हिंद-प्रशांत अवधारणा दबदबा बढ़ाने के दृष्टिकोण की अस्वीकृति है और इसका यही मतलब हो सकता है। यह दोहराता है कि कुछ के फायदे के लिए विश्व को रोका नहीं जा सकता, भले ही यह संयुक्त राष्ट्र का मामला है।’’

जयशंकर ने कहा कि हर युग अपनी रणनीतिक अवधारणा का सृजन करता है और मौजूदा अवधारणा भी अपवाद नहीं है ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक जून 2018 को सिंगापुर में शांगरी ला वार्ता में अपने संबोधन में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया था।

हिंद प्रशांत को लेकर भारत का नजरिया समावेशी है और वह अंतरराष्ट्रीय समुद्र से गुजरने, नौवहन की आजादी के सबके अधिकार का सम्मान करता है।

भाषा आशीष मनीषा

मनीषा