आम आदमी को अभी महंगाई से नहीं मिलेगी राहत, जानिए होलसेल Inflation Rate में गिरावट के बावजूद क्यों बढ़ रहे हैं चीजों के दाम?

महंगाई की दर की बात करें तो यह RBI द्वारा तय की गई सीमा से अधिक चल रही है। इसी बीच यह संभावना भी जताई जा रही है कि महंगाई दर में गिरावट फिलहाल नहीं आएगी।

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  • Publish Date - September 12, 2022 / 06:11 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:33 PM IST

Wholesale Inflation Rate : देश में लगातार बढ़ती महंगाई से आम आदमी बहुत ज्यादा परेशान है। खाने-पीने समेत सभी चीजों के दामों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और ये बढ़ोतरी भी तब हो रही है जब
देश में थोक मूल्‍य सूचकांक में पिछले 3 महीनों से लगातार गिरावट दर्ज की गई है। खुदरा महंगाई की के दर में भी लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। वहीं अगर देश की महंगाई की दर की बात करें तो यह RBI द्वारा तय की गई सीमा से अधिक चल रही है। इसी बीच यह संभावना भी जताई जा रही है कि महंगाई दर में गिरावट फिलहाल नहीं आएगी।

रिटेल इनफ्लेशन में कमी नहीं

देश के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि WPI में गिरावट का रिटेल इनफ्लेशन पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। पिछले दो दशकों के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि भारत में थोक महंगाई दर और खुदरा महंगाई दर विपरीत रास्‍तों पर ही चलती हैं।

दो अंकों में है WPI

देश में अप्रैल 2021 के बाद से थोक महंगाई दर दो अंकों में चल रही है। इन कंपनियों ने अपने उत्‍पादों की कीमतों में बढ़ोतरी की है, इससे मांग में गिरावट देखी जा रही है। इसका असर प्रॉफिटेबिलिटी पर पड़ा है। हिन्‍दुस्‍तान यूनि‍लीवर, आईटीसी और मारुति सुजुकी (Hindustan Unilever, ITC and Maruti Suzuki) जैसी कंपनियों ने इस अवधि में दाम तो बढ़ाए लेकिन फिर भी वे कच्‍चे माल की बढ़ती कीमतों से हुए नुकसान को पूरा नहीं कर सकी।

देखें खुदरा महंगाई दर

एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में थोक महंगाई दर में गिरावट आने का असर खुदरा महंगाई दर पर ज्‍यादा नहीं होता है। अगर थोक महंगाई दर में बड़ी गिरावट देखने को मिली तो उसका असर रिटेल महंगाई दर पर नहीं देखा गया है। रिटेल इनफ्लेशन में थोक महंगाई दर के अनुपात में गिरावट नहीं आई है। ब्लूमबर्ग द्वारा अर्थशास्त्रियों के बीच कराए सर्वे के अनुसार खुदरा महंगाई दर के 6.9% तक रहने की संभावना है। सर्वे में शामिल अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि थोक महंगाई दर में तीसरे महीने भी गिरावट जारी रहेगी और यह 12.9 फीसदी रह सकती है।

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क्या है वजह

बर्कलेज बैंक (Barclays Bank) के अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया का कहना है कि थोक महंगाई दर और खुदरा महंगाई दर के बीच का अंतर कम है। तभी तो कंपनियां वैश्विक कमोडिटी की कीमतों में गिरावट का लाभ खुदरा उपभोक्ताओं को देने को अनिच्छुक होंगी। वे अपने मार्जिन को फिर से हासिल करने की कोशिश में हैं। इसका मतलब है कि रिटेल कीमतों को नीचे आने में काफी समय लगेगा। कमोडिटी की कीमतों में वैश्विक मंदी और यूएस फेड द्वारा अपनी ब्‍याज दरों में और बढ़ोतरी करने की संभावना के चलते आगे और गिरावट आई है। इससे थोक महंगाई दर में 5 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है।

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