इंफ्रा-रेड, रडार के खतरों से बचाती है डीआरडीओ की उन्नत चैफ प्रौद्योगिकी

इंफ्रा-रेड, रडार के खतरों से बचाती है डीआरडीओ की उन्नत चैफ प्रौद्योगिकी

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  • Publish Date - August 25, 2021 / 04:11 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:59 PM IST

What is Infra Red Radar

जोधपुर (राजस्थान), 25 अगस्त (भाषा) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बुधवार को कहा कि भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों की रक्षा के लिए तैयार की गई उसकी उन्नत चैफ प्रौद्योगिकी विमानों को इंफ्रा-रेड हमले और रडार के खतरों से बचाती है।

डीआरडीओ की पुणे स्थित प्रयोगशाला ने जोधपुर में रक्षा प्रयोगशाला के साथ मिल कर उन्नत चैफ सामग्री और चैफ कारतूस विकसित किया है।

जोधपुर में रक्षा प्रयोगशाला के निदेशक रवींद्र कुमार ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चैफ एक अहम रक्षा प्रौद्योगिकी है जिसका इस्तेमाल लड़ाकू विमानों को दुश्मन के रडार से बचाने में किया जाता है।

कुमार ने कहा कि आज के वक्त में रडार के खतरों के बढ़ जाने से लड़ाकू विमानों को बचाए रखना एक बड़ी चिंता की बात है। विमानों को बचाए रखने के लिए काउंटर मेजर डिस्पेंसिंग सिस्टम (सीएमडीएस) का इस्तेमाल किया जाता है जो उन्हें इंफ्रा-रेड हमलों और रडार के खतरों से बचाता है।

उन्होंने बताया कि इस प्रौद्योगिकी की खासियत यह है कि इसमें बेहद कम मात्रा में लगने वाली चैफ सामग्री दुश्मन की मिसाइलों को रोकने में या मिसाइल हमले से बचाने में मदद करती है।

इससे पहले केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस अहम प्रौद्योगिकी के स्वदेशी निर्माण के लिए डीआरडीओ, भारतीय वायु सेना और रक्षा उद्योग की प्रशंसा की थी और इसे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों में ‘आत्म निर्भर भारत’ की ओर डीआरडीओ का एक और कदम बताया था।

भाषा गोला शोभना

शोभना