आधार बढाने के लिए अन्य पार्टियों से नेताओं को शामिल करना जरूरी: दिलीप घोष

आधार बढाने के लिए अन्य पार्टियों से नेताओं को शामिल करना जरूरी: दिलीप घोष

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  • Publish Date - January 24, 2021 / 12:55 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:31 PM IST

कोलकाता, 24 जनवरी (भाषा) पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के भाजपा में शामिल होने के बीच प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने रविवार को इन आशंकाओं को खारिज किया कि पार्टी के पुराने नेताओं से अधिक महत्व अन्य दलों से पार्टी में आने वालों को दिया जाएगा। इससे भाजपा के कुछ नाराज नेताओं को कुछ राहत मिली है।

घोष ने कहा कि राजनीतिक निष्ठा बदलने से हमेशा महत्वपूर्ण पद मिलने की गारंटी नहीं होती है।

घोष ने हालांकि इस बात पर जोर दिया कि पार्टी को बंगाल में अपना आधार विस्तारित करने और सत्ता में आने के लिए अन्य राजनीतिक संगठनों से लोगों को जोड़ने की जरूरत है।

घोष ने पीटीआई-भाषा से एक साक्षात्कार में यह भी स्पष्ट किया कि हर किसी को पार्टी के नियमों और कायदों का पालन करना है, चाहे वे पुराने हों या नये।

उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में भाजपा एक बढ़ती हुई ताकत है। प्रत्येक बीतते दिन के साथ हमारा संगठन मजबूत हो रहा है, तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य दलों के लोग हमसे जुड़ रहे हैं। यदि हम लोगों को अन्य संगठनों से नहीं लेते हैं, तो हम कैसे बढ़ेंगे?’’

तृणमूल कांग्रेस से नेताओं को पार्टी में शामिल करने को लेकर राज्य के कुछ हिस्सों में पार्टी में अंदरूनी खींचतान की खबरों के बारे में पूछे जाने पर घोष ने कहा, ‘‘चाहे कोई भी पार्टी में शामिल हो, मैं यह कहना चाहूंगा कि सभी को पार्टी के नियमों और कायदों का पालन करना होगा। कोई भी पार्टी के ऊपर नहीं है।’’

भाजपा पार्टी सूत्रों के अनुसार पार्टी के कई काडर और आरएसएस कुछ नेताओं के पार्टी में शामिल होने से बहुत खुश नहीं हैं।

घोष ने कहा, ‘‘कुछ नेताओं के खिलाफ शिकायतें हो सकती हैं, लेकिन सभी को यह समझना होगा कि हर कोई जो हमारे साथ जुड़ता है, उसे महत्वपूर्ण पद नहीं दिया जाएगा। लोकतंत्र में संख्या बल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमें (सत्ता में आने के लिए) संख्या प्राप्त करनी है।’’

गत दो वर्षों में शुवेन्दु अधिकारी, 14 अन्य विधायकों और एक मौजूदा सांसद सहित कई वरिष्ठ नेता तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए हैं। साथ ही वाम मोर्चे के तीन विधायक और चार कांग्रेस विधायक भी भाजपा में शामिल हुए हैं।

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इन आरोपों पर कि भाजपा एक ‘‘वॉशिंग मशीन’’ बन गई है जो अन्य पार्टियों से पार्टी में शामिल होने वाले भ्रष्टों को स्वच्छ बनाती है, घोष ने कहा कि किसी को पार्टी में शामिल करना उनके गलत कामों को सही ठहराना नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम किसी को या किसी भी चीज को प्रमाणित या न्यायोचित नहीं ठहरा रहे हैं। यदि कोई दोषी साबित होता है, तो उसे नतीजे भुगतने होंगे। वह तृणमूल कांग्रेस है जो भ्रष्टाचार की संस्कृति में विश्वास करती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे समाज में, लोगों का एक वर्ग राजनीति में है और ये वर्ग जहां भी जाता है, उस पार्टी की ताकत बढ़ती है। अगर कुछ राजनेता हमारे साथ जुड़ने के इच्छुक हैं, तो हम उनका स्वागत करेंगे। दूसरी ओर, कानून अपना काम करेगा।’’

घोष ने कहा कि पार्टी ने एक तंत्र बनाया है जो पार्टी में शामिल किये जाने वाले व्यक्तियों के बारे में जांच करेगा।

घोष ने पार्टी के पुराने सदस्यों को भरोसा दिया कि उन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि प्रत्येक को उनकी क्षमताओं के अनुसार समायोजित किया जाएगा।

पश्चिम बंगाल में ‘‘बाहरी बनाम अंदरूनी’ बहस का उल्लेख करते हुए घोष ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया है क्योंकि उसके पास बात करने के लिए और कुछ नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘राज्य में एक दशक तक सत्ता में रहने के बाद ऐसा लगता है कि टीएमसी के पास बात करने के लिए कुछ नहीं है। हमारी पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी है और हमारे नेता हमारी सहायता के लिए यहां आएंगे। लेकिन जो लोग चुनाव लड़ रहे हैं या जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं वे इस राज्य के निवासी हैं। इसलिए आरोप निराधार हैं।’’

उन्होंने विश्वास जताया कि भाजपा दो तिहाई से अधिक बहुमत के साथ राज्य में सत्ता में आएगी। घोष ने कहा कि पार्टी राज्य के विकास के लिए एक रूपरेखा तैयार करेगी।

विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार पेश करने के मुद्दे पर घोष ने कहा कि यह निर्णय पार्टी नेतृत्व को करना है।

यह पूछे जाने पर कि यदि उनकी पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश करती है, तो क्या वह चुनौती को लेंगे, घोष ने कहा कि वह भाजपा के एक वफादार सिपाही हैं और हमेशा सभी जिम्मेदारियों को निभाया है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब मुझे पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए कहा गया, तो मैंने इसे स्वीकार किया..मैंने कड़ी मेहनत की … जब मुझे विधायक या सांसद पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए कहा गया, तो मैं सहमत हुआ। पार्टी मुझे जो भी जिम्मेदारी सौंपेगी, मैं उसे स्वीकार करूंगा, मैं अपना कर्तव्य निष्ठा से निभाऊंगा।’’

भाषा अमित नरेश

नरेश