(नमिता तिवारी)
(फोटो के साथ)
ओरमांझी (झारखंड), 28 नवंबर (भाषा) खीराबेड़ा में, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा सुरंग में फंसे तीन श्रमिकों के परिवार के सदस्यों में उस समय खुशी की लहर दौड़ गई जब मंगलवार शाम को रांची के बाहरी इलाके में स्थित इस गांव में उनके बचाव की खबर पहुंची।
लकवाग्रस्त श्रवण बेदिया (55) का इकलौता बेटा राजेंद्र वहां फंसा हुआ था। लंबी निराशा के बाद चेहरे पर कुछ राहत के साथ अपनी झोपड़ी के बाहर उन्हें व्हीलचेयर पर देखा गया। राजेंद्र (22) के अलावा, गांव के दो अन्य लोग-सुखराम और अनिल, जिनकी उम्र लगभग 20 वर्ष के आसपास है, 16 दिन तक सुरंग के अंदर फंसे रहे।
उत्तरकाशी में सुरंग के बाहर डेरा डाले हुए अनिल के भाई सुनील ने ‘पीटीआई-भाषा को फोन पर रुंधी आवाज में कहा, ‘‘आखिरकार, भगवान ने हमारी सुन ली। मेरे भाई को बचाया जा सका। मैं अस्पताल ले जाते समय एम्बुलेंस में उसके साथ हूं।’’
यह पूछे जाने पर कि कौन सा अस्पताल है, उन्होंने कहा कि यह उन्हें पता नहीं है लेकिन उनके भाई की हालत स्थिर है।
सुनील पिछले एक सप्ताह से अपने भाई का इंतजार कर रहे थे। सुनील भी इस तरह की परियोजनाओं में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि यह उनके जीवन का सबसे कठिन समय था, जब उनके बूढ़े माता-पिता की देखभाल करने वाला कोई नहीं बचा था, जो सदमे की स्थिति में थे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं किसी तरह उत्तरकाशी की यात्रा के लिए धन की व्यवस्था कर सका।’’
यहां खीराबेड़ा में जश्न का माहौल है और ग्रामीणों ने ‘लड्डू’ बांटे।
सुखराम की लकवाग्रस्त मां पार्वती, जो आपदा के बारे में पता चलने के बाद से गमगीन थीं, बहुत खुश नजर आ रही थीं।
अनिल के घर में उनकी दुखी मां ने पिछले दो सप्ताह से कुछ भी नहीं पकाया और परिवार अपने पड़ोसियों द्वारा दिए जाने वाले भोजन पर ही आश्रित था। बचाव की खबर टीवी पर दिखाए जाने पर ग्रामीण वहां एकत्र हो गए।
उत्तराखंड के चार धाम मार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को भूस्खलन के बाद ढह गया, जिससे अंदर के श्रमिकों के लिए निकास बंद हो गया। इसके बाद बचाव अभियान शुरू किया गया था।
सुखराम की बहन खुशबू ने कहा कि उनके गांव में सभी लोग जश्न मना रहे हैं। एक ग्रामीण राम कुमार बेदिया के अनुसार, 18 से 23 वर्ष के बीच के 13 लोगों का एक समूह सुरंग पर काम करने के लिए एक नवंबर को खीराबेड़ा से निकला था। घटना के समय उनमें से तीन अंदर काम कर रहे थे।
भाषा आशीष माधव
माधव