झारखंड सरकार बिना अध्ययन और शोध के बना रही नीतियां : भाजपा

झारखंड सरकार बिना अध्ययन और शोध के बना रही नीतियां : भाजपा

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  • Publish Date - June 14, 2025 / 05:38 PM IST,
    Updated On - June 14, 2025 / 05:38 PM IST

रांची, 14 जून (भाषा) भाजपा की झारखंड इकाई के प्रवक्ता और पूर्व विधायक अमित कुमार मंडल ने शनिवार को आरोप लगाया कि राज्य सरकार बिना उचित अध्ययन और शोध के नीतियां बना रही है।

उन्होंने कहा कि झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा (जेटीईटी) के नियमों के मसौदे में कई विसंगतियां हैं, विशेष रूप से विशिष्ट जिलों के लिए निर्धारित क्षेत्रीय और आदिवासी भाषाओं की सूची में।

मंडल ने संवाददाताओं से कहा, ‘खूंटी में, मुंडारी स्थानीय बोली है, लेकिन उसे जिले की सूची में शामिल नहीं किया गया है। इसी तरह गढ़वा और पलामू में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भोजपुरी है, जिसे सूची से हटा दिया गया है, जबकि नागपुरी और कुड़ुख जैसी भाषाएं, जो सीमित क्षेत्रों में बोली जाती हैं, उन्हें सूची में शामिल किया गया है।’

उन्होंने कहा कि गोड्डा और देवघर जिलों में अंगिका व्यापक रूप से बोली जाती है, लेकिन उसे भी सूची में शामिल नहीं किया गया है। गोड्डा जिले में बोली जाने वाली एक अन्य प्रमुख भाषा कुर्माली को भी सूची से बाहर रखा गया है।

मंडल ने सवाल किया, ‘मैं जानना चाहता हूं कि सरकार ने प्रत्येक जिले के लिए भाषाएं चुनने का क्या मापदंड अपनाया है?’

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर भाषा विवाद को हवा देने की कोशिश कर रही है।

मंडल ने कहा, ‘राज्य की अर्थव्यवस्था ‘मंईयां सम्मान योजना’ पर भारी खर्च के चलते चरमराई हुई है। सरकार को अपने कर्मचारियों को वेतन देने और विकास योजनाओं को वित्तपोषित करने में मुश्किल होगी। युवाओं को रोजगार देने में असफल रही सरकार इस तरह के विवादास्पद मसौदे सामने ला रही है।’

सरकार ने हाल ही में जेटीईटी नियमों का मसौदा जारी कर जनता से सुझाव मांगे हैं।

इस पर विद्यालयी शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि यह मसौदा नियम केवल प्रारंभिक कदम है।

उन्होंने कहा, ‘सभी हितधारकों से सुझाव प्राप्त कर और आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए ही अंतिम मसौदा तैयार किया जाएगा।’

भाषा राखी दिलीप

दिलीप