कर्नाटक विधानसभा ने हंगामे के बीच नफरत फैलाने वाले भाषण पर रोक संबंधी विधेयक पारित किया

कर्नाटक विधानसभा ने हंगामे के बीच नफरत फैलाने वाले भाषण पर रोक संबंधी विधेयक पारित किया

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  • Publish Date - December 18, 2025 / 09:10 PM IST,
    Updated On - December 18, 2025 / 09:10 PM IST

बेलगावी (कर्नाटक), 18 दिसंबर (भाषा) कर्नाटक विधानसभा ने बृहस्पतिवार को हंगामे के बीच नफरत फैलाने वाले भाषण पर रोक से संबंधित एक विधेयक पारित कर दिया। यह देश में इस तरह का पहला विधेयक है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस विधेयक को विपक्ष और मीडिया के खिलाफ ‘ब्रह्मास्त्र’ करार देते हुए कहा कि इसका उद्देश्य ‘वोट बैंक की राजनीति’ करना है।

भाजपा विधायकों के हंगामे के बीच सदन में घृणास्पद भाषण और घृणा अपराध (रोकथाम) विधेयक पारित कर दिया गया, जिसमें सरकार ने घृणास्पद भाषण के खिलाफ उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों का हवाला दिया।

इस विधेयक में सात साल तक की जेल और एक लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है।

मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को चार दिसंबर को मंजूरी दी थी और 10 दिसंबर को गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने इसे सदन में पेश किया था।

विधेयक के अनुसार, ऐसी कोई भी अभिव्यक्ति, जो किसी भी पूर्वाग्रहपूर्ण हित को पूरा करने के लिए जीवित या मृत व्यक्ति, वर्ग या व्यक्तियों या समुदाय के समूह के खिलाफ चोट, असामंजस्य, शत्रुता, घृणा की भावना या दुर्भावना पैदा करने के इरादे से सार्वजनिक रूप से बोले गए या लिखित शब्दों में या संकेतों द्वारा प्रकाशित या प्रसारित की जाती है, वह घृणास्पद भाषण है।

विधेयक पर चर्चा करते हुए परमेश्वर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा कि घृणास्पद भाषण और घृणा हत्याओं को जन्म देते हैं, सामाजिक अशांति पैदा करते हैं और समाज को दूषित करते हैं।

मंत्री ने बताया कि धर्म, भाषा, दिव्यांगता, लिंग, यौन रुझान, जाति, नस्ल, जन्म स्थान, जनजाति या निवास स्थान के नाम पर पूर्वाग्रह होते हैं।

परमेश्वर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह कानून समाज में एक बड़ा बदलाव लाएगा।’’

विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि यह विधेयक जब कानून बनेगा तो यह पुलिस को ‘हिटलर’ बना देगा। उन्होंने कहा कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन करता है।

भाजपा नेता ने दावा किया कि यहां तक ​​कि कॉर्टून और तस्वीरों को भी नहीं बख्शा गया है। उन्होंने कहा कि इससे प्रेस की स्वतंत्रता पर भी हमला होगा और डिजिटल स्वतंत्रता पर अंकुश लगेगा।

अशोक ने सत्ताधारी दल कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘यहां बड़े पैमाने पर जबरन वसूली होगी। इस कानून के तहत जमानत नहीं मिलेगी, सिर्फ जेल होगी। इस देश में आपातकाल लागू करने वालों से हम और क्या उम्मीद कर सकते हैं?’’

भाजपा नेता ने दावा किया कि इस कानून में उल्लिखित सभी अपराध पहले से ही भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में मौजूद हैं, लेकिन फिर भी कर्नाटक में कांग्रेस सरकार इसे लेकर आई है।

विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, ‘‘यह विपक्ष के खिलाफ ब्रह्मास्त्र (अत्याधुनिक हथियार) है। कानून का सबसे पहला वार हम पर पड़ेगा और उसके बाद मीडिया की बारी आएगी। अंततः, यह वोट बैंक की राजनीति है।’’

चर्चा के दौरान शहरी विकास मंत्री बिरथी सुरेश ने कहा कि तटीय कर्नाटक नफरत भरे भाषण और नफरत की आग से उत्पन्न अपराध के कारण ‘‘जल रहा’’ है।

क्षेत्र के भाजपा विधायकों ने इस पर आपत्ति जताई और फिर सदन में आसन के समीप आ गए। अन्य भाजपा विधायकों ने भी उनका अनुसरण किया।

विधानसभा ने हंगामे के बीच विधेयक पारित कर दिया।

भाषा रवि कांत सुरेश

सुरेश