नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि कर्नाटक सरकार का नफरती भाषण विधेयक (हेट स्पीच बिल) ‘आलोचकों को चुप कराने’ और खुद को जवाबदेही से ‘बचाने’ के लिए बनाया गया है।
राज्य सरकार ने बुधवार को विधानसभा में कर्नाटक नफरती भाषण एवं घृणा अपराध (रोकथाम) विधेयक पेश किया, जिसमें 10 साल तक की जेल और अधिकतम एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रस्ताव है।
इस कदम पर कड़ी आपत्ति जताते हुए, जोशी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पूछा, ‘क्या इसका उद्देश्य घृणास्पद भाषण रोकना है, या सीधे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाना?’
उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक ‘आलोचकों को खामोश करने, सरकार को जवाबदेही से बचाने और लोगों में डर पैदा करके राजनीतिक पकड़ मजबूत करने’ के इरादे से बनाया गया है।
वहीं, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने बृहस्पतिवार को विधेयक का बचाव करते हुए कहा कि इसे संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और भड़काऊ राजनीतिक बयानबाजी पर अंकुश लगाने के लिए लाया गया है।
उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि भारतीय जनता पार्टी नफरती भाषणों से बचेगी तो सब ठीक रहेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कानून संविधान की रक्षा के लिए है।
भाषा सुमित रंजन
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