पुरी में भगवान जगन्नाथ को स्वर्ण परिधान में देखने के लिए लाखों भक्त उमड़े

पुरी में भगवान जगन्नाथ को स्वर्ण परिधान में देखने के लिए लाखों भक्त उमड़े

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  • Publish Date - July 10, 2022 / 08:26 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 09:00 PM IST

पुरी, 10 जुलाई (भाषा) ओडिशा के पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ के ‘सुना भेष’ (स्वर्ण परिधान) में दर्शन करने के लिए रविवार को लाखों श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। यह वार्षिक रथ यात्रा के भव्य अनुष्ठानों में से एक है।

यह अनुष्ठान वार्षिक रथ यात्रा की वापसी और भगवान के गुंडिचा मंदिर से लौटने के एक दिन बाद आषाढ़ एकादशी को होता है।

भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ का रथ 12वीं सदी में निर्मित मंदिर के सिहं द्वार पर खड़ा होता है और भगवान की आभा देखते ही बनती है क्योंकि उनके विग्रहों को 208 किलोग्राम के आभूषणों से सजाया जाता है।

पंडित सूर्यनारायाण रथ शर्मा ने बताया कि ‘सुना भेष’ अनुष्ठान की शुरुआत शासक कपिलेंद्र देब के शासन में सन 1460 में तब शुरू हुई जब वह दक्कन विजय कर 16 बैलगाड़ियों में भर कर सोना लेकर पुरी पहुंचे।

उन्होंने बताया कि देब ने सोने और हीरे भगवान जगन्नाथ को अर्पित किए और पुजारियों से उनके गहने बनवाने के निर्देश दिए जिन्हें विग्रहों को पहनाया जाता है।

जगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ता भास्कर मिश्रा ने बताया, ‘‘सुना भेष के लिए करीब 208 किलोग्राम स्वर्ण आभूषणों का इस्तेमाल किया जाता है।’’ उन्होंने बताया कि पुजारियों को भगवान को स्वर्ण आभूषणों से सजाने में करीब एक घंटे का समय लगता है।

भगवान को सजाने में जिन गहनों का इस्तेमाल किया जाता है, उनमें ‘श्री हस्त’, ‘श्री पैर’ ,‘श्री मुकुट’ और ‘श्री चौलपटी’ शामिल हैं। हालांकि, भगवान के ‘सुना भेष’ में हीरे का प्रयोग नहीं किया जाता। इन गहनों को मंदिर के ‘रत्न भंडार’ में रखा जाता है।

गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी की वजह से भक्त करीब दो साल के बाद इन अनुष्ठानों में हिस्सा ले पा रहे हैं।

भाषा धीरज नरेश

नरेश