नई दिल्ली : वित्तीय वर्ष 2017-18 भारतीय रेलवे के लिए ट्रेनों के परिचालन के मामले में विगत 3 सालों की तुलना में सबसे बदतर रहा, इस दौरान करीब 30% ट्रेनें विलंब से चलीं। आंकड़ों को देखें तो अप्रैल 2017 और मार्च 2018 के बीच 71.39% ट्रेनें समय पर चलीं जो 2016-2017 के 76.69 प्रतिशत के मुकाबले 5.30 प्रतिशत कम था। वहीं वर्ष 2015-16 में 77.44% ट्रेनें अपने तय समय पर चली थीं।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि पिछले वर्ष रखरखाव के लिए कई काम होना भी इन ट्रेनों के समय पर न चलने के पीछे बड़ा कारण हैं। वर्ष 2016-17 में रेलवे ने 2,687 साइट्स पर 15 लाख से अधिक रखरखाव के कार्य किए। इस वजह से मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के परिचालन में देरी हुई। रेल मंत्रालय (मीडिया एवं संचार) के निदेशक राजेश दत्त बाजपेयी ने कहा, ‘हम सुरक्षा से समझौता किए बिना और पटरियों का उन्नयन कर ट्रेनों के परिचालन में सुधार लाने का प्रयास कर रहे हैं’।
यहां यह भी बताना लाजिमी है कि 1 जनवरी से लागू रेलवे बोर्ड के एक आदेश में सभी जोनल अधिकारियों से कहा गया था कि ट्रेनों के विलंब से चलने की जानकारी को न छिपाएं, तभी रेलवे में सुधार संभव है, साथ ही इससे रेलवे के प्रति लोगों की मानसिकता में बदलाव संभव है। इस आदेश में यह भी कहा गया कि ट्रेनों के आवागमन से जुड़ी सही जानकारी ही प्रसारित की जाए, जिससे समयबद्धता से जुड़ी दिक्कतों और उनके सही कारण को समझा जा सके। इसके बाद ही उन्हें ठीक करने के उपाय किए जा सकेंगे।
इसके साथ ही आदेश में कहा गया था कि इस नए साल में अर्थात 2018 में जोन लेवल पर ट्रेनों की पंक्चुएलिटी का मूल्यांकन प्रतिशत के बेस पर नहीं बल्कि ग्रेडिंग के अनुसार होगा।
वेब डेस्क, IBC24