लोकसभा ने ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक’ को संयुक्त समिति के पास भेजने को मंजूरी दी

लोकसभा ने ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक’ को संयुक्त समिति के पास भेजने को मंजूरी दी

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  • Publish Date - December 16, 2025 / 12:35 PM IST,
    Updated On - December 16, 2025 / 12:35 PM IST

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) लोकसभा ने विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्र स्व-शासन वाले संस्थान बनाने के उद्देश्य से लाए गए ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025’ को मंगलवार को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने को मंजूरी दी।

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विधेयक को संयुक्त समिति के पास भेजे जाने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने ध्वनिमत से स्वीकृति प्रदान की।

प्रधान ने सोमवार को यह विधेयक लोकसभा में पेश किया था, जिसका कुछ विपक्षी सदस्यों ने विरोध किया था।

कांग्रेस के मनीष तिवारी ने विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए कहा था कि यह शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता का उल्लंघन करता है और उनकी स्वतंत्रता का क्षरण करता है। उन्होंने कहा कि इससे, राज्य कानून के तहत स्थापित शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता प्रभावित होगी।

वहीं, आरएसपी के एन. के. प्रेमचंद्रन ने विधेयक के हिंदी नाम को लेकर विरोध दर्ज कराते हुए कहा था कि दक्षिण भारत के सांसदों को इसका उच्चारण करने में दिक्कत हो रही है। उन्होंने कहा कि इसका नाम अंग्रेजी में होना चाहिए।

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सोमवार को सदन में कहा कि यह विधेयक पेश किया जाना संसद की विधायी क्षमता के अधीन है और इसके गुण-दोषों पर विधेयक पर चर्चा के दौरान विचार किया जाएगा।

उन्होंने विपक्षी सदस्यों द्वारा विधेयक को लेकर जताई गई चिंताओं का हवाला देते हुए यह भी कहा, ‘‘कार्य मंत्रणा समिति की बैठक के दौरान कई माननीय सदस्यों ने अनुरोध किया कि यह एक व्यापक विधेयक है और हमें इस पर और चर्चा करने की जरूरत है। इसलिए, सरकार इसे संसद की संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव करती है।’’

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और एआईसीटीई जैसे निकायों की जगह उच्च शिक्षा नियामक निकाय स्थापित करने वाले इस विधेयक को शुक्रवार को मंजूरी दी थी।

सरकार की ओर से यह विधेयक भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ सूची की प्रविष्टि 66 के प्रावधानों के तहत पेश किया गया। इसमें ‘उच्च शिक्षा या अनुसंधान संस्थानों और वैज्ञानिक एवं तकनीकी संस्थानों में समन्वय और मानकों के निर्धारण’ का प्रावधान है।

विधेयक में तीन परिषदों के साथ एक शीर्ष निकाय के रूप में विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान की स्थापना का प्रावधान है, जिसमें विकसित भारत शिक्षा विनियमन परिषद (नियामक परिषद), विकसित भारत शिक्षा गुणवत्ता परिषद (मान्यता परिषद), और विकसित भारत शिक्षा मानक परिषद (मानक परिषद) शामिल हैं।

इस विधेयक में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम (यूजीसी), 1956, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद अधिनियम (एआईसीटीई), 1987 और राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद अधिनियम (एनसीटीई), 1993 को निरस्त करने का भी प्रावधान है।

शिक्षा मंत्रालय, यूजीसी, एआईसीटीई और एनसीटीई के दायरे में आने वाले सभी उच्च शिक्षण संस्थान मानकों के निर्धारण के लिए विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान के दायरे में होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में परिकल्पित वास्तुकला परिषद (सीओए) व्यावसायिक मानक निर्धारण निकाय (पीएसएसबी) के रूप में कार्य करेगी। यह विधेयक राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों को दी गई स्वायत्तता के वर्तमान स्तर को बनाए रखने को सुनिश्चित करता है।

भाषा हक

हक वैभव

वैभव