Love Doesn't Mean You got Permit for Sex: Kerala High Court

‘प्यार का ये मतलब कतई नहीं है कि आपको संबंध बनाने की अनुमति मिल गई’ अहम मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की टिप्पणी

अहम मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की टिप्पणी! Love Doesn't Mean You got Permit you for Sex: Kerala High Court

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:23 PM IST, Published Date : November 21, 2021/6:17 pm IST

तिरुवनंतपुरम: Love Doesn’t Mean Permit for Sex केरल हाई कोर्ट गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड के रिलेशनशिप के एक मामले में सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा है कि प्यार का ये मतलब कतई नहीं है कि आपको संबंध बनाने की अनुमति मिल गई। फैसला सुनाते हुए जस्टिस आर नारायण पिशारदी ने यह भी कहा कि मजबूरी और लाचारी को किसी की सहमति नहीं कहा जा सकता है। सहमति और सबमिशन के बीच एक बड़ा अंतर है। सहमति में सबमिशन शामिल होता है लेकिन बातचीत का पालन नहीं होता है।

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Love Doesn’t Mean Permit for Sex बता दें कि केरल हाई कोर्ट ने 26 साल के श्याम सिवान की अपील पर सुनवाई की। ट्रायल कोर्ट ने श्याम को रेप के एक मामले में दोषी ठहराया था, जिसके बाद उसने केरल हाई कोर्ट में अपील की थी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि दोषी श्याम और पीड़िता एक-दूसरे से प्यार करते थे। साल 2013 में श्याम पीड़ित लड़की को कर्नाटक के मैसूर ले गया था। वहां उसने जबरन पीड़िता के साथ संबंध बनाए थे। श्याम ने पीड़िता के सारे गहने भी बेच दिए। इसके बाद वो पीड़िता को गोवा ले गया जहां उसने फिर से युवती से रेप किया। श्याम ने पीड़िता को धमकी दी थी कि अगर वो उसके साथ नहीं चलेगी तो वो उसके घर के सामने आत्महत्या कर लेगा।

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कोर्ट ने आगे कहा कि भले ही कुछ मौकों पर पीड़िता ने श्याम का विरोध नहीं किया लेकिन इसे संबंध बनाने के लिए सहमति नहीं माना जा सकता है। वो एक तरह से पैसिव सबमिशन था क्योंकि पीड़िता के पास कोई विकल्प नहीं था। हालांकि केरल हाई कोर्ट ने POCSO के तहत निचली अदालत की तरफ से दी गई सजा को खारिज कर दिया है क्योंकि वारदात के समय की पीड़िता की उम्र का पता नहीं लग पाया था। लेकिन जस्टिस पिशारदी ने अपने आदेश में कहा कि श्याम दोषी है और उसको आईपीसी की धारा 366 और 376 (अपहरण और बलात्कार) के तहत सजा मिलेगी।

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गौरतलब है कि ये फैसला सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के दो दिन बाद आया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि स्किन-टू-स्किन टच किए बिना अगर कोई नाबालिग को गलत तरीके से छूता है तो उसे भी यौन शोषण माना जाएगा और ये क्राइम है।

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