Maldives President Mohamed Muizzu: मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जु ने भारत को दी ये अंतिम चेतावनी, कहा इस्लाम के अलावा कोई दूसरा धर्म नहीं…

President Muizzu ultimatum to India: मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने संसद में अपने पहले संबोधन में भारत पर निशाना साधा है।

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  • Publish Date - February 5, 2024 / 05:01 PM IST,
    Updated On - February 5, 2024 / 05:01 PM IST

President Muizzu ultimatum to India: माले। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने संसद में अपने पहले संबोधन में भारत पर निशाना साधा है। मुइज्जू ने भारत देश का नाम लिए बिना कहा कि मालदीव के बहुसंख्यक लोग उनकी सरकार का समर्थन करते हैं। लोगों को उम्मीद है कि उनकी सरकार विदेशी सैनिकों की मौजूदगी को खत्म कर देगी। किसी भी देश को मालदीव की संप्रभुता में हस्तक्षेप करने या उसे कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

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वहीं भारत के साथ हाल ही में खत्म किए गए हाइड्रोग्राफिक समझौते की तरफ इशारा करते हुए मुइज्जू ने कहा कि मालदीव के लोगों की उनकी सरकार से ऐसी आशा भी है कि वो अपने खोए हुए समुद्री क्षेत्र को हासिल कर लेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि किसी देश से कोई ऐसा समझौता न हो जो मालदीव की संप्रभुता का उल्लंघन करता हो। वहीं मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा कि द्वीप राष्ट्र से भारतीय सैनिकों का पहला समूह 10 मार्च से पहले वापस भेजा जाएगा जबकि दो विमानन प्लेटफॉर्म में तैनात बाकी के भारतीय सैनिकों को 10 मई तक हटा दिया जाएगा।

चीन समर्थक नेता माने जाने वाले मुइज्जू ने संसद में दिए पहले संबोधन में कहा कि उनका मानना है कि मालदीव के नागरिकों का एक बड़ा हिस्सा इस उम्मीद से उनके प्रशासन का समर्थन करता है कि वे देश से विदेशी सेना की मौजूदगी खत्म कर देंगे और समुद्री क्षेत्र को फिर से अपने कब्जे में लेंगे। उन्होंने आगे कहा कि अगर देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता को किसी तरह का खतरा होता है तो वह दृढ़ रहेंगे और किसी भी परिस्थिति में किसी भी ‘बाहरी दबाव’ के आगे नहीं झुकेंगे।

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President Muizzu ultimatum to India: इसके अलावा अपने संबोधन में मुइज्जू ने मालदीव के इस्लामिक देश होने पर गर्व करते हुए कहा कि दिसंबर 1932 में मालदीव में स्थापित पहली संसद में सुल्तान मोहम्मद शम्सुद्दीन के भाषण का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का रवैया भी वही है जो सुल्तान शम्सुद्दीन का था कि इस्लाम राष्ट्र को दिया गया एक आशीर्वाद है। क्या यह हमारे लिए वरदान नहीं है कि हम इस्लामिक देश बने रहें? यह बात निश्चित है कि इस्लाम के अलावा कोई दूसरा धर्म नहीं है जो समानता और न्याय की गारंटी देता है। हमें इसके लिए कोई सबूत दिखाने की जरूरत नहीं है।

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