इंफाल, सात मार्च (भाषा) हिंसा प्रभावित मणिपुर में लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को स्वेच्छा से सौंपने की समयसीमा के अंतिम दिन लोगों ने सुरक्षा बलों को गोला-बारूद समेत 196 हथियार सौंपे। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
सुरक्षा बलों ने कांगपोकपी जिले में 15 बंकर को भी नष्ट कर दिया।
मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने लूटे गए और अवैध हथियारों को जमा कराने की समयसीमा को छह मार्च शाम चार बजे तक के लिए बढ़ा दिया था और आठ जिलों में इस समयसीमा तक हथियार जमा कराए गए।
यह समयसीमा बढ़ाए जाने का निर्णय, पर्वतीय और घाटी दोनों क्षेत्रों के लोगों की ओर से अतिरिक्त समय की मांग के बाद लिया गया था।
पुलिस ने कहा कि बिष्णुपुर, इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, थौबल, काकचिंग, जिरीबाम, चुराचांदपुर और फेरजॉल… इन सात जिलों में हथियार जमा करवाए गए।
पुलिस ने एक बयान में कहा कि स्वेच्छा से हथियार सौंपने की समय सीमा समाप्त होने के बाद, संयुक्त सुरक्षा बलों ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में तलाशी अभियान के तहत 36 हथियार, 129 गोला-बारूद, सात विस्फोटक, 21 अन्य वस्तुएं बरामद कीं और 15 अवैध बंकरों को नष्ट कर दिया।
के लांगनोम और खेंगजांग क्षेत्रों में 12 बंकरों को जबकि हराओथेल में तीन अन्य बंकरों को नष्ट कर दिया गया। ये सभी बंकर कांगपोकपी जिले में स्थित हैं।
भल्ला ने 20 फरवरी को लोगों से सुरक्षा बलों से लूटे गए हथियारों और अवैध रूप से रखे गए अन्य हथियारों को सात दिनों के भीतर स्वेच्छा से सौंपने का आग्रह किया था। इसी समयसीमा को बाद में छह मार्च शाम चार बजे तक बढ़ाया गया था।
प्रशासन ने लोगों को आश्वासन दिया था कि इस अवधि के भीतर अपने हथियार सौंपने वालों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी और इस बात पर बल दिया था कि ‘यह सभी के लिए शांति, सांप्रदायिक सद्भाव, हमारे युवाओं के भविष्य तथा हमारे समाज की सुरक्षा में योगदान देने का अंतिम अवसर है’।
शुरू के सात दिनों में मुख्य रूप से घाटी के जिलों में लोगों ने 300 से अधिक हथियार सौंपे।
मई 2023 से मेइती और कुकी-ज़ो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे गए और हजारों लोग बेघर हो गए।
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद केंद्र ने 13 फरवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था और राज्य विधानसभा को निलंबित कर दिया गया। विधानसभा का कार्यकाल 2027 तक था।
भाषा यासिर मनीषा
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