Maulana Saad lockdown case: लॉकडाउन तोड़ने के लिए मुस्लिमों को भड़काने के दोषी नहीं साबित हुए मौलाना साद, दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट में खुलासा

Maulana Saad : पुलिस ने अदालत को बताया कि मौलाना साद के लैपटॉप से मिले भाषणों की जांच की गई, लेकिन इनमें कोई भड़काऊ या विवादित सामग्री नहीं पाई गई।

Maulana Saad lockdown case: लॉकडाउन तोड़ने के लिए मुस्लिमों को भड़काने के दोषी नहीं साबित हुए मौलाना साद, दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट में खुलासा

Maulana Saad lockdown case, image source: ANI

Modified Date: September 4, 2025 / 11:47 pm IST
Published Date: September 4, 2025 11:46 pm IST
HIGHLIGHTS
  • मार्च 2020 में निजामुद्दीन स्थित मरकज़ में तबलीगी जमात का आयोजन
  • कोविड फैलाने का आरोप साबित नहीं
  • दिल्ली हाईकोर्ट पहले ही रद्द कर चुकी है कई केस

नई दिल्ली: Maulana Saad lockdown case, दिल्ली पुलिस की ताज़ा जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान भड़काऊ भाषण देने और कोविड फैलाने के आरोपों में फंसे तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। पुलिस ने अदालत को बताया कि मौलाना साद के लैपटॉप से मिले भाषणों की जांच की गई, लेकिन इनमें कोई भड़काऊ या विवादित सामग्री नहीं पाई गई।

कोविड फैलाने का आरोप

मार्च 2020 में निजामुद्दीन स्थित मरकज़ में तबलीगी जमात का आयोजन हुआ था, जिसमें देश-विदेश से लोग शामिल हुए थे। बाद में कुछ प्रतिभागियों के कोविड पॉजिटिव पाए जाने पर मौलाना साद और जमातियों पर महामारी फैलाने, लॉकडाउन तोड़ने और लोगों को उकसाने के आरोप लगाए गए। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक ऑडियो को भी पुलिस ने सबूत के तौर पर पेश किया था। इसी आधार पर मौलाना साद और 952 विदेशी जमातियों पर मुकदमा दर्ज हुआ था।

हाईकोर्ट के फैसले और जांच का नतीजा

Maulana Saad, दिल्ली हाईकोर्ट पहले ही कई केस रद्द कर चुकी है। जुलाई 2025 में कोर्ट ने 70 जमातियों के खिलाफ FIR और चार्जशीट खारिज कर दी थी। अदालत ने कहा था कि ये लोग लॉकडाउन की वजह से मरकज़ में फंसे थे और बाहर निकलना भी नियमों के खिलाफ होता। किसी के खिलाफ कोविड फैलाने या प्रशासन से दुर्व्यवहार करने का कोई सबूत नहीं मिला था।

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अब पुलिस की फाइनल रिपोर्ट में भी साफ हो गया है कि मौलाना साद के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने या लोगों को कोविड नियम तोड़ने के लिए उकसाने का कोई प्रमाण नहीं है।

राजनीति और समाज की प्रतिक्रियाएँ

आप प्रवक्ता मजीद अली ने कहा, “तबलीगी जमात ने ही सबसे पहले कोविड मरीजों के लिए प्लाज़्मा डोनेट किया था। मीडिया और पुलिस ने उन्हें बदनाम किया, अब माफी मांगनी चाहिए।”

मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा, “मौलाना साद और जमात को बेवजह परेशान किया गया। उन्हें क्लीन चिट मिलना खुशी की बात है। जिन लोगों ने बदनाम किया, उन्हें माफी मांगनी चाहिए।”

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com