श्रीनगर, 26 दिसंबर (भाषा) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को कहा कि देश में असहिष्णुता बढ़ रही है और साथ ही उन्होंने कश्मीरियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से विभिन्न राज्यों में मंत्रिस्तरीय टीम भेजने का आग्रह भी किया।
महबूबा मुफ्ती ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘पूरे देश में असहिष्णुता बढ़ गई है। लिंचिंग (पीट-पीटकर हत्या करने) की घटनाएं हो रही हैं। बांग्लादेश में जो हो रहा है, उससे हमें बहुत दुख होता है। लेकिन जो लोग इसकी आलोचना करते हैं, वे यहां लिंचिंग की घटनाओं को मूक दर्शक बनकर देखते रहते हैं।’’
उत्तराखंड में एक कश्मीरी व्यापारी पर हुए हमले का जिक्र करते हुए पीडीपी की प्रमुख ने कहा कि उन्होंने तुरंत ‘एक्स’ पर एक पोस्ट कर उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को टैग करते हुए इस मामले में उनके हस्तक्षेप की मांग की।
उन्होंने उत्तराखंड की घटना को लेकर कहा, ‘‘इसीलिए आरोपी को गिरफ्तार किया गया। पुलिस में अभी भी कुछ अधिकारी हैं जो कार्रवाई करते हैं। लेकिन 72 घंटों में तीन घटनाएं? उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में, जो हो रहा है वह चिंताजनक है।’’
उन्होंने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से आग्रह किया कि वे एक मंत्रिस्तरीय टीम का गठन करें और उसे राज्यों में भेजें ताकि वहां के कश्मीरियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमारी सरकार को प्रत्येक राज्य में एक मंत्रिस्तरीय टीम भेजनी चाहिए। विशेष रूप से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश तथा हरियाणा में, जहां इस तरह की अधिकांश घटनाएं होती हैं।’’
कश्मीर के प्रमुख मौलवी मीरवाइज उमर फारूक द्वारा अपने ‘एक्स’ प्रोफाइल से ‘हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष’ का पदनाम हटाने पर, महबूबा ने कहा कि हालांकि यह एक व्यक्तिगत पसंद है, लेकिन सरकार को हुर्रियत के पीछे के विचार पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘यह उनका (मीरवाइज का) निजी फैसला है। लेकिन, मैं कहना चाहती हूं कि हुर्रियत का पूरा नेतृत्व जेल में है, इसलिए नए शिविर नहीं लगाए जाने चाहिए, न ही नयी गिरफ्तारियां होनी चाहिए और न ही विचारों पर निगरानी रखी जानी चाहिए।’’
पीडीपी प्रमुख ने कहा, ‘‘हुर्रियत एक विचार है, कोई व्यक्ति नहीं जिसे जेल में डाला जा सके। यह वह अलगाव है जो लोग देश और स्वयं के बीच महसूस करते हैं। आप लोगों को जेल भेज सकते हैं, आप सोशल मीडिया के किसी प्रोफाइल से नाम हटा सकते हैं, लेकिन अलगाव की समस्या का समाधान करना जरूरी है।’’
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