मादक पदार्थ के कारोबार से अर्जित धन पाकिस्तान में आतंकवादी आकाओं के पास जा रहा : डीजीपी

मादक पदार्थ के कारोबार से अर्जित धन पाकिस्तान में आतंकवादी आकाओं के पास जा रहा : डीजीपी

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  • Publish Date - September 22, 2024 / 08:49 PM IST,
    Updated On - September 22, 2024 / 08:49 PM IST

श्रीनगर, 22 सितंबर (भाषा) पाकिस्तान में आतंकवादी आका “हवाला” कारोबार पर कार्रवाई के कारण मादक पदार्थ के कारोबार से अर्जित धन का इस्तेमाल अपने घटते वित्त की भरपाई के लिए कर रहे हैं, ताकि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने में मदद मिल सके। केंद्र-शासित प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर.आर. स्वैन ने रविवार को यह बात कही।

श्रीनगर में संवाददाताओं से मुखातिब स्वैन ने कहा, “मादक पदार्थ आतंकवादी वित्त पोषण का मुख्य जरिया बनकर उभर रहे हैं। आतंकवाद के वित्त पोषण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ज्यादातर पारंपरिक हवाला स्रोतों पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। मुझे लगता है कि मादक पदार्थ के कारोबार से अर्जित धन का इस्तेमाल इसकी भरपाई के लिए किया जा रहा है।”

उन्होंने कहा कि मादक पदार्थ के कारोबार और आतंकवाद के बीच संबंध है, जो अब बिना किसी संदेह के स्थापित हो गया है।

स्वैन ने कहा, “यह एक पुराना, लेकिन प्रासंगिक सवाल है। मैं पहले भी कहा है कि संबंध स्पष्ट नहीं थे। लगभग दो साल पहले तक जांच से संबंध स्थापित नहीं हु‍ए थे। लेकिन आज एसआईए और अन्य एजेंसियों की जांच से साबित हो गया है कि मादक पदार्थ का स्रोत पाकिस्तान में है।”

उन्होंने कहा, “(सीमा के) उस पार मादक पदार्थ के मुख्य स्रोत का कुछ आतंकवादी संगठनों से संबंध होने का इतिहास रहा है।”

स्वैन ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों के बाजारों में बेची जाने वाली हेरोइन सीमा पार से आ रही है।

उन्होंने कहा, “पर्दे के पीछे के स्रोतों से पता चला है कि सीमा पार मौजूद आतंकी आका इसे (मादक पदार्थ) यहां भेज रहे हैं। हमारे यहां अफीम की खेती नहीं होती है, हमारे पास ऐसी इकाइयां नहीं हैं, जहां इसे प्रसंस्कृत किया जा सके।”

डीजीपी ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री बाबू सिंह के मामले का हवाला देते हुए बताया कि मादक पदार्थ के कारोबार से अर्जित धन का इस्तेमाल आतंकवाद के वित्त पोषण के लिए कैसे किया जाता है।

उन्होंने कहा, “मादक पदार्थ की खेप पहुंचने के बाद इसे वितरित किया जाता है। कुछ की खपत स्थानीय स्तर पर होती है, जबकि बाकी देश के अन्य हिस्सों में भेज दिया जाता है। इसके बाद विपरीत दिशा से धन का प्रवाह होता है, जिसमें करोड़ों रुपये का लेन-देन शामिल होता है।”

स्वैन ने कहा, “बाबू सिंह का मामला कुछ इसी तरह का है। उनके पास से छह लाख रुपये बरामद किए गए थे, जिनकी मदद से उन्हें एक आतंकवादी प्रकोष्ठ की शुरुआत करनी थी। जब हमने धन के प्रवाह की जांच की तो पाया कि यह रकम कुल राशि का मामूली हिस्सा थी। बाकी धनराशि आतंकवादियों को दी गयी।”

भाषा पारुल प्रशांत

प्रशांत