उच्च न्यायालय की सांसद/विधायक पीठ प्रिया रमानी को बरी करने के खिलाफ अकबर की याचिका पर सुनवाई करेगी

उच्च न्यायालय की सांसद/विधायक पीठ प्रिया रमानी को बरी करने के खिलाफ अकबर की याचिका पर सुनवाई करेगी

  •  
  • Publish Date - September 19, 2025 / 06:06 PM IST,
    Updated On - September 19, 2025 / 06:06 PM IST

नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर की उस याचिका को अपनी सांसद/विधायक पीठ को सौंप दिया, जिसमें पत्रकार प्रिया रमानी को यौन दुराचार के आरोपों से जुड़े आपराधिक मानहानि के मामले में बरी किए जाने को चुनौती दी गई है।

न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने कहा कि चूंकि मामला एक पूर्व सांसद से जुड़ा है, इसलिए वर्तमान और पूर्व सांसदों के मामलों के लिए बनी पीठ को ही इसकी सुनवाई करनी चाहिए।

अदालत ने न्यायमूर्ति रवींद्र डुडेजा के समक्ष मामले की सुनवाई के लिए 15 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की है।

अकबर ने अधीनस्थ अदालत के 17 फरवरी, 2021 के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें रमानी को इस मामले में बरी कर दिया गया था। इसमें कहा गया था कि एक महिला को दशकों बाद भी अपनी पसंद के किसी भी मंच पर अपनी शिकायतें रखने का अधिकार है।

उच्च न्यायालय ने 13 जनवरी, 2022 को अधीनस्थ अदालत के आदेश के खिलाफ अकबर की अपील की जांच करने पर सहमति व्यक्त की और अपील स्वीकार कर ली, जिस पर अगस्त 2021 में रमानी को नोटिस जारी किया गया था।

अपनी अपील में अकबर ने तर्क दिया है कि अधीनस्थ अदालत ने उनके आपराधिक मानहानि मामले का फैसला अनुमान और अटकलों के आधार पर किया और जैसे कि यह यौन उत्पीड़न का मामला हो।

अकबर की पैरवी करंजवाला एंड कंपनी कर रही है। अकबर ने यह भी दावा किया है कि अधीनस्थ अदालत ने यह कहकर ‘गंभीर गलती’ की है कि उनकी कोई अच्छी प्रतिष्ठा नहीं है और उन्होंने आपराधिक न्यायशास्त्र के सुस्थापित सिद्धांतों की अनदेखी की है।

अधीनस्थ अदालत ने अकबर द्वारा दायर मानहानि की शिकायत को खारिज कर दिया और रमानी को यह कहते हुए बरी कर दिया कि उनके खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हुआ।

अधीनस्थ अदालत ने कहा कि यह शर्मनाक है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध उस देश में हो रहे हैं जहां महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्य महिलाओं के सम्मान के बारे में लिखे गए हैं।

रमानी ने 2018 में ‘मी टू’ आंदोलन के मद्देनजर अकबर के खिलाफ यौन दुराचार के आरोप लगाए थे।

अकबर ने रमानी के खिलाफ 15 अक्टूबर, 2018 को शिकायत दर्ज कराई थी कि रमानी ने उन पर दशकों पहले यौन दुराचार करने का आरोप लगाकर उन्हें कथित तौर पर बदनाम किया है। इसके बाद अकबर ने 17 अक्टूबर, 2018 को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।

भाषा संतोष माधव

माधव

ताजा खबर