एमयूडीए: उच्च न्यायालय ने ईडी के समन के खिलाफ सिद्धरमैया की पत्नी की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा

एमयूडीए: उच्च न्यायालय ने ईडी के समन के खिलाफ सिद्धरमैया की पत्नी की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा

एमयूडीए: उच्च न्यायालय ने ईडी के समन के खिलाफ सिद्धरमैया की पत्नी की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा
Modified Date: February 20, 2025 / 10:04 pm IST
Published Date: February 20, 2025 10:04 pm IST

बेंगलुरु, 20 फरवरी (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एमयूडीए भूमि आवंटन घोटाले के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समन को रद्द करने के लिए दायर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती बी एम और शहरी विकास मंत्री बिरथी सुरेश की याचिका पर अपना आदेश बृहस्पतिवार को सुरक्षित रख लिया।

उच्च न्यायालय ने 27 जनवरी को ईडी के उस नोटिस पर रोक लगा दी थी, जिसमें पार्वती और मंत्री सुरेश को भूखंड आवंटन मामले में पूछताछ के लिए उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था।

सुनवाई के दौरान, पार्वती का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता संदेश जे चौटा ने दलील दी कि उन्होंने पहले ही संबंधित भूखंडों को लौटा दिया था और उनकी कभी भी किसी तरह की कथित अवैध आय नहीं रही है।

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चौटा ने कहा कि पार्वती ने विवादित संपत्तियां एक अक्टूबर 2024 को लौटा दी थी, जिसका मतलब है कि उन्होंने न तो उन्हें अपने पास रखा और न ही उनसे कोई लाभ अर्जित किया।

उन्होंने ईडी के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल उठाया और दलील दी कि एजेंसी ने अपनी जांच लोकायुक्त द्वारा जल्दबाजी में दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर शुरू की थी।

उन्होंने ईडी के इस दावे को चुनौती दी कि उसकी जांच का दायरा 14 भूखंडों से आगे तक विस्तृत है, और इसे मामले को उसके मूल दायरे से बाहर विस्तारित करने का प्रयास बताया।

जवाब में, ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अरविंद कामथ ने जांच का बचाव करते हुए दलील कि मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन घोटाला कुछ लेन-देन तक सीमित नहीं था, बल्कि यह प्रणालीगत उल्लंघनों का संकेत देता है।

कार्यवाही के दौरान, उच्च न्यायालय ने इस बात पर विचार किया कि क्या ईडी की जांच वास्तव में धन शोधन से जुड़ी थी या यह केवल भ्रष्टाचार की प्रारंभिक जांच का विस्तार थी, जिसे लोकायुक्त की बी-रिपोर्ट द्वारा पहले ही बंद कर दिया गया था।

अदालत ने कहा, ‘‘इस मामले में अपराध से अर्जित आय कहां है? भूखंडों को भूमि उपयोग के बदले में आवंटित किया गया था, न कि खरीद या बिक्री के माध्यम से। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि इस प्रक्रिया से अपराध की आय सामने आई है।’’

उच्च न्यायालय द्वारा अपना फैसला सुरक्षित रखने के बाद लोकायुक्त मामले में अगली सुनवाई 24 फरवरी को निर्धारित की गई है। सिद्धरमैया, एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी को 14 भूखंडों के अवैध आवंटन के आरोपों का सामना कर रहे हैं।

भाषा सुभाष माधव

माधव


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