नयी दिल्ली, नौ मार्च (भाषा) जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य संगठनों द्वारा वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ आहूत विरोध प्रदर्शन को समर्थन देते हुए दावा किया कि मुसलमानों को उनके अधिकारों को पुनः प्राप्त करने के लिए सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि 12 फरवरी, 2025 को संगठन की कार्यसमिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि यदि विधेयक पारित होता है, तो जमीयत उलेमा-ए-हिंद की सभी राज्य इकाइयां अपने-अपने राज्य के उच्च न्यायालयों में इस कानून को चुनौती देंगी।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, जमीयत इस विश्वास के साथ उच्चतम न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाएगी कि न्याय मिलेगा, क्योंकि ‘‘अदालत हमारे लिए अंतिम सहारा है’’।
उन्होंने 13 मार्च को यहां जंतर-मंतर पर प्रस्तावित ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य राष्ट्रीय संगठनों के विरोध प्रदर्शन का समर्थन करते हुए कहा कि मुसलमानों को उनके अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले 12 वर्षों से मुसलमानों ने बहुत धैर्य और सहनशीलता का परिचय दिया है।
मदनी ने एक बयान में कहा, ‘‘हालांकि, अब जब वक्फ संपत्तियों के बारे में मुसलमानों की चिंताओं की अनदेखी की जा रही है और एक असंवैधानिक कानून जबरन थोपा जा रहा है, तो विरोध करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि अपने धार्मिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना देश के हर नागरिक का लोकतांत्रिक अधिकार है। जमीयत प्रमुख ने कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश किए जाने के बाद से, ‘‘हम सरकार को यह समझाने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि वक्फ पूरी तरह से धार्मिक मामला है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वक्फ संपत्तियां हमारे पूर्वजों द्वारा समुदाय के कल्याण के लिए दिए गए दान हैं और इसलिए हम उनमें किसी भी सरकारी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं कर सकते।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मुसलमान अपने शरीयत से बिल्कुल भी समझौता नहीं कर सकते, क्योंकि यह उनके अधिकारों का मामला है, न कि केवल उनके अस्तित्व का। मौजूदा सरकार एक नया वक्फ संशोधन अधिनियम लाकर देश के संविधान द्वारा मुसलमानों को दिए गए अधिकारों को छीनना चाहती है।’’
मदनी ने आरोप लगाया, ‘‘हम संविधान द्वारा हमें दिए गए अधिकारों और शक्तियों को पुनः प्राप्त करने के लिए प्रदर्शन करने वाले हैं। वक्फ संशोधन विधेयक जैसे कानून लाकर इन संवैधानिक अधिकारों का हनन करने का प्रयास किया जा रहा है।’’
मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत ने सरकार में शामिल उन दलों को, जो खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं और जिनकी सफलता में मुसलमानों की भी भूमिका रही है, यह समझाने का प्रयास किया है कि जो कुछ हो रहा है वह बहुत गलत है।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, अब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी इसे मंजूरी दे दी है, जिसका स्पष्ट अर्थ है कि इन दलों ने इस विधेयक का खुलकर समर्थन किया है।’’
जमीयत अध्यक्ष ने दावा किया कि यह मुसलमानों के साथ विश्वासघात है और देश के संविधान और कानूनों के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने कहा, ‘‘ये दल देश के धर्मनिरपेक्ष संविधान और मुसलमानों से ज्यादा अपने राजनीतिक हितों को महत्व देते हैं। इसलिए, धर्मनिरपेक्षता का दावा करने वाली पार्टियां आज देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं।’’
मदनी ने कहा, ‘‘देश को विनाश और बर्बादी की ओर धकेलने में खुलेआम मदद करके, उनकी भूमिका सांप्रदायिक ताकतों की तुलना में कहीं अधिक खतरनाक है क्योंकि वे लोगों की पीठ में छुरा घोंपने वाले दोस्त की तरह काम कर रहे हैं।’’
उन्होंने लोगों से बड़ी संख्या में प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की ताकि न केवल इसे सफल बनाया जा सके बल्कि समुदाय के हित के प्रति उनकी जागरूकता और प्रतिबद्धता भी दिखाई जा सके।
भाषा वैभव प्रशांत
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