MBBS Admission Fraud: गिरफ्त में आया ‘नटवरलाल’, बड़े अधिकारियों से अच्छे संबंधों का हवाला देकर छात्रों को बनाता था शिकार
राजस्थान में एमबीबीएस के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, आरोपी अपनी तकनीकी चालाकी से लोगों को भरोसा दिलाकर एमबीबीएस एडमिशन का झांसा देता और ठगी की रकम कई डमी अकाउंट में ट्रांसफर कर देता था। आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला।
- ठगी करने वाला गिरोह गिरफ्तार।
- एमबीबीएस एडमिशन का झांसा देते थे।
- ऑनलाइन वेबसाइट का उपयोग कर शिकारों को भ्रमित किया।
MBBS Admission Fraud: जोधपुर: जयपुर के श्याम नगर थाना पुलिस ने ऐसे ही गिरोह के एक मिस्टर नटवरलाल को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपी का नाम विनीत जोशी और विवेक जोशी है। ये शख्स कभी विनीत जोशी बनकर कभी विवेक जोशी बनाकर बड़े अधिकारियों से अपने अच्छे ताल्लुकात बताता और फिर एमबीबीएस के लिए अच्छे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन कराने के नाम पर शिकार बनाता था।
मिस्टर नटवरलाल को किया गिरफ्तार
पुलिस के अनुसार, आरोपी कभी खुद को विनीत जोशी तो कभी विवेक जोशी बताकर वो लोगों को विश्वास में लेता और फिर एमबीबीएस के अच्छे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दिलाने का झांसा देकर भारी रकम ऐंठता था। जिन लोगों को ठगी का पता चल जाता, वो अपनी राशि वापस मांगते तो आरोपी उन्हें डराने के लिए फर्जी CBI लेटर भेजता। इसके चलते लोग पुलिस या किसी अन्य जांच एजेंसी में शिकायत करने से डरते थे। ये तकनीकी कौशल और चालाकी गिरोह को लंबे समय तक कामयाब बनाए रखती थी। साल 2023 में दर्ज एक मामले में, जयपुर निवासी महेश कुमार अग्रवाल ने पुलिस को शिकायत दी। आरोपी ने उनकी बेटी के नीट क्लियर होने के ये घटना पुलिस के लिए लंबे समय से एक चुनौती बनी हुई थी।
अलवर से हुई गिरफ्तारी
श्याम नगर थाना पुलिस ने सख्त कार्रवाई करते हुए आरोपी को अलवर से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आरोपी के पास से लैपटॉप, मोबाइल फोन और अन्य उपकरण भी जप्त किए। जांच में पता चला कि आरोपी 100 से अधिक बैंक अकाउंट में ठगी की रकम ट्रांसफर करवा चुका है।
कई राज्यों में दर्ज हैं मामले
पुलिस के अनुसार, आरोपी के खिलाफ गुरुग्राम, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान सहित कई राज्यों में करोड़ों रुपए की ठगी के मामले दर्ज हैं। आरोपी तकनीकी रूप से कुशल था और इसके शिकार ऑनलाइन वेबसाइटों के माध्यम से अपने ठगी के बारे में जानकारी नहीं पा सकते थे।
आरोपी की चालाकी
अदालत और पुलिस के सामने आरोपी की तकनीकी जानकारी ने सबको चौंका दिया। उसने ऑनलाइन वेबसाइट तैयार कर लोगों को भ्रमित किया और ठगी की राशि को मल्टीपल डमी अकाउंट में ट्रांसफर करवाया। इसके चलते शिकारों के लिए ठगी का पता लगाना और राशि वापस पाना लगभग नामुमकिन था।

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