NCERT Modules for School Students, image source: social media
नई दिल्ली: NCERT Modules for School Students, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली भारत की सरकार ने 14 अगस्त को विभाजिन विभीषिका दिवस घोषित किया है। इस दिन को घोषित करने का उद्देश्य छात्रों और समाज को यह बताना है कि है कि भारत-पाकिस्तान के 1947 में हुए बंटवारे (1947) ने लाखों लोगों की जिंदगियों पर कितना प्रभाव डाला है। इस कड़ी में एनसीईआरटी द्वारा विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस पर विशेष मॉड्यूल, कक्षा 6-8 के मध्य और माध्यमिक कक्षाओं के लिए तैयार किया गया है।
जाहिर है कि अब इन कक्षाओं में स्कूली बच्चों को पढ़ाई में यह भी सिखाया जाएगा कि आजादी के समय 1947 में हुए बंटवारे से लोगों को कितनी मुश्किलों और दुखों का सामना करना पड़ा, और हमें उससे क्या सीख लेना है।
NCERT Special Modules आपको बता दें कि एनसीईआरटी के खास मॉड्यूल में बताया गया है कि भारत का विभाजन किसी एक व्यक्ति की वजह से नहीं हुआ था। इसके लिए तीन लोग/पक्ष ज़िम्मेदार थे –
1. मुहम्मद अली जिन्ना – जिन्होंने बंटवारे की मांग की थी।
2. कांग्रेस – जिसने बंटवारे को स्वीकार कर लिया था।
3. लॉर्ड माउंटबेटन – जिन्होंने इसे लागू किया था।
NCERT Modules for School Students, NCERT द्वारा तैयार मॉड्यूल के अनुसार, भारत का विभाजन गलत सोच की वजह से हुआ। मुस्लिम लीग ने 1940 में लाहौर में एक बैठक की थी। वहां जिन्ना ने कहा था कि हिंदू और मुसलमान अलग-अलग धर्म, रीति-रिवाज़, साहित्य और नायकों वाले समुदाय हैं। ब्रिटिश सरकार चाहती थी कि भारत आजाद तो हो, लेकिन बंटे नहीं, उन्होंने एक योजना बनाई थी, जिसमें भारत को डोमिनियन स्टेटस देने की बात थी। यानी ब्रिटिश राजा केवल नाम के लिए भारत का प्रमुख रहता, लेकिन देश का असली प्रशासन भारतीयों के हाथ में होता। साथ ही, अलग-अलग प्रांतों को यह विकल्प दिया गया था कि वे इस डोमिनियन का हिस्सा बनें या न बनें, लेकिन कांग्रेस ने यह योजना ठुकरा दीं।
एनसीईआरटी के इस खास मॉड्यूल में बताया गया है कि आज़ादी के समय देश के बड़े नेताओं के पास बंटवारे को लेकर अलग-अलग राय थी। सरदार वल्लभभाई पटेल शुरू में बंटवारे के पक्ष में नहीं थे, लेकिन बाद में उन्होंने इसे ज़बरदस्ती ली जाने वाली दवा की तरह स्वीकार कर लिया। जुलाई 1947 में बॉम्बे की एक सभा में उन्होंने कहा था- “देश युद्ध का मैदान बन चुका है, दोनों समुदाय अब शांति से साथ नहीं रह सकते, गृहयुद्ध से अच्छा है कि बंटवारा कर दिया जाए।”
लॉर्ड माउंटबेटन, जो भारत के अंतिम वायसराय थे, उन्होंने कहा था – “भारत का बंटवारा मैंने नहीं किया, यह भारतीय नेताओं ने खुद मंज़ूर किया। मेरा काम केवल इसे शांति से लागू करना था। जल्दबाजी की गलती मेरी थी, लेकिन इसके बाद हुई हिंसा की ज़िम्मेदारी भारतीयों की थी।”
महात्मा गांधी बंटवारे के खिलाफ थे, उन्होंने 9 जून 1947 को प्रार्थना सभा में कहा था – “अगर कांग्रेस बंटवारे को मानती है, तो यह मेरी सलाह के खिलाफ होगा, लेकिन मैं इसका विरोध हिंसा या गुस्से से नहीं करूंगा।” इसके बावजूद हालात ऐसे बने कि नेहरू और पटेल ने गृहयुद्ध के डर से बंटवारे को स्वीकार कर लिया। महात्मा गांधी ने भी अपनी आपत्ति छोड़ दी और 14 जून 1947 को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में बाकी नेताओं को भी बंटवारे के लिए तैयार कर दिया।
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NCERT द्वारा तैयार मॉड्यूल के अनुसार, लॉर्ड माउंटबेटन ने एक बड़ी गलती की। उन्होंने सत्ता हस्तांतरण की तारीख जून 1948 से घटाकर अगस्त 1947 कर दी। यानी पूरे काम के लिए केवल 5 हफ्ते मिले, सीमाओं का बंटवारा भी जल्दबाजी में हुआ।हालत ये थे कि 15 अगस्त 1947 के दो दिन बाद तक पंजाब के लाखों लोगों को पता ही नहीं था कि वे भारत में हैं या पाकिस्तान में। इस जल्दबाजी को बहुत बड़ी लापरवाही माना गया।
बंटवारे के बाद भी हिंदू और मुसलमानों के बीच नफरत को खत्म नहीं किया जा सका। इसी समय कश्मीर का मुद्दा खड़ा हुआ, जो पहले कभी नहीं था। यह भारत की विदेश नीति के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया। कई देश कश्मीर के नाम पर पाकिस्तान का साथ देकर भारत पर दबाव बनाने लगे।
विभाजन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “Partition Horror Remembrance Day” मनाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा –“विभाजन का दर्द कभी भुलाया नहीं जा सकता। लाखों बहन-भाई बेघर हो गए और कई लोगों ने अपनी जान गंवाई। हमारे लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में हर साल 14 अगस्त को यह दिवस मनाया जाएगा।”
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने NCERT द्वारा “Partition Horrors Day” पर विशेष मॉड्यूल जारी करने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा- इतिहास में झूठ बोला जाता है और विभाजन (Partition) की ज़िम्मेदारी मुसलमानों पर डाल दी जाती है। “जो लोग देश छोड़कर चले गए, वे चले गए… लेकिन जो मुसलमान यहां रह गए, वे देश के वफादार हैं। ओवैसी ने सवाल उठाया कि अगर NCERT बदलाव कर रहा है, तो उसमें आरएसएस की प्रार्थना क्यों नहीं पढ़ाई जाती? उनका आरोप है कि बीजेपी और आरएसएस सत्ता में आने के बाद इतिहास को बदलने की आदत रखते हैं।
वहीं इस बपर कांग्रेस का कहना है कि एनसीईआरटी के मॉड्यूल में सच्चाई पूरी तरह नहीं बताई गई। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि अगर इसमें सिर्फ कांग्रेस और जिन्ना को ही विभाजन का जिम्मेदार ठहराया गया है, तो यह अधूरी कहानी है।
वहीं आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, ‘RSS हमेशा टू नेशन थ्योरी का समर्थन करता था। सावरकर ने भी अपनी किताब में ये बात कही थी। जिन्ना, आरएसएस और हिंदू महासभा सभी भारत के विभाजन के पक्ष में थे। कांग्रेस और जिन्ना को सिर्फ जिम्मेदार ठहराना गलत है। आरएसएस और हिंदू महासभा को भी उतनी ही विभाजन की जिम्मेदारी लेनी होगी।’
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