नेहरू दस्तावेज : सरकार ने सोनिया गांधी की आलोचना की

नेहरू दस्तावेज : सरकार ने सोनिया गांधी की आलोचना की

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  • Publish Date - December 17, 2025 / 08:34 PM IST,
    Updated On - December 17, 2025 / 08:34 PM IST

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) सरकार ने बुधवार को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की जवाहरलाल नेहरू से संबंधित ‘‘51 बक्से दस्तोवज’’ अपने पास रखने के लिए कड़ी आलोचना की और प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) को इन्हें वापस करने की मांग की ताकि विद्वानों और संसद की नेहरू काल के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अभिलेखों तक पहुंच संभव हो सके।

सरकार ने जोर देकर कहा कि ये दस्तावेज ‘‘सार्वजनिक अभिलेखागार में होने चाहिए, किसी बंद कमरे में नहीं।’’

केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि चूंकि इन कागजातों का स्थान ज्ञात है, इसलिए वे ‘‘लापता नहीं हैं।’’

कांग्रेस ने संस्कृति मंत्री शेखावत के लोकसभा में लिखित उत्तर का हवाला देते हुए मंगलवार को कहा था कि प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) से पंडित जवाहरलाल नेहरू से संबंधित कोई दस्तावेज गायब नहीं होने की सच्चाई सामने आ गई है तो क्या अब इस मामले में माफी मांगी जाएगी।

दरअसल, सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता संबित पात्रा ने लोकसभा में लिखित प्रश्न किया था कि क्या 2025 में पीएमएमएल के वार्षिक निरीक्षण के दौरान भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से संबंधित कतिपय दस्तावेज संग्रहालय से गायब पाए गए हैं?

इसके उत्तर में संस्कृति मंत्री शेखावत ने कहा, ‘‘2025 में पीएमएमएल के वार्षिक निरीक्षण के दौरान संग्रहालय से भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से संबंधित कोई दस्तावेज गायब नहीं पाया गया है।’’

नेहरू दस्तावेज सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बीच एक विवादास्पद मुद्दा रहा है, और पीएमएमएल के भीतर एक वर्ग इन दस्तावेजों को ‘‘वापस लेने’’ के लिए दबाव बना रहा है, जिन्हें सोनिया गांधी ने कई साल पहले ले लिया था।

शेखावत ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ‘‘नेहरू दस्तावेज पीएमएमएल से ‘लापता’ नहीं हैं। ‘लापता’ होने का अर्थ मौजूदगी का स्थान अज्ञात होना है, इस विषय में तो ज्ञात है कि दस्तावेज कहां और किसके अधिकार में हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जवाहरलाल नेहरू जी से जुड़े कागजात वाले 51 बक्सों को गांधी परिवार ने 2008 में पीएमएमएल (तत्कालीन एनएमएमएल) से ले लिया था। इनका स्थान ज्ञात है, इसलिए, वे ‘लापता नहीं’ हैं। ये दस्तावेज 2008 में विधिवत प्रक्रिया के तहत परिवार को सौंपे गए थे और पीएमएमएल में इनके रिकॉर्ड मौजूद हैं।’’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विद्वानों, शोधकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को यह अधिकार है कि वे मूल दस्तावेजों तक पहुंच पाएं, ताकि जवाहरलाल नेहरू के जीवन और उनके दौर को समझने के लिए सत्य पर आधारित संतुलित दृष्टिकोण विकसित हो सके।

उन्होंने कहा, ‘‘एक तरफ हमें उस दौर की गलतियों पर चर्चा न करने को कहा जाता है, दूसरी ओर उनसे जुड़े मूल दस्तावेज सार्वजनिक पहुंच से बाहर रखे जा रहे हैं, जबकि उनके माध्यम से तथ्यपरक चर्चा हो सकती है।’’

शेखावत ने कहा, ‘‘यह कोई साधारण मामला नहीं है। इतिहास को चुनकर नहीं लिखा जा सकता। लोकतंत्र की बुनियाद पारदर्शिता है और अभिलेख उपलब्ध कराना नैतिक दायित्व, जिसे निभाना सोनिया गांधी और उनके ‘परिवार’ की भी जिम्मेदारी है।’’

उन्होंने कहा कि मूल प्रश्न यह है कि क्यों इन दस्तावेजों को अब तक वापस नहीं किया गया, जबकि पीएमएमएल की ओर से इस बारे में कई बार पत्र भेजे गए, विशेषकर जनवरी और जुलाई 2025 में।

शेखावत ने कहा, ‘‘मैं आदरपूर्वक सोनिया गांधी से पूछना चाहता हूं कि क्या छिपाया जा रहा है? वैसे भी दस्तावेज वापस न करने के लिए दिए जा रहे तर्क असंगत और अस्वीकार्य हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सवाल यह भी है कि इतने महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज सार्वजनिक अभिलेखागार के बाहर क्यों हैं? ये निजी पारिवारिक दस्तावेज तो बिल्कुल भी नहीं हैं, ये भारत के प्रथम प्रधानमंत्री से जुड़े महत्वपूर्ण राष्ट्रीय अभिलेख हैं। ऐसे दस्तावेज सार्वजनिक अभिलेखागार में होने चाहिए, किसी बंद कमरे में नहीं।’’

भाषा शफीक रंजन

रंजन