चेन्नई,11 मार्च (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मंगलवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ‘‘विनाशकारी नागपुर योजना’’ करार दिया और दोहराया कि राज्य इसे स्वीकार नहीं करेगा भले ही केंद्र सरकार 10,000 करोड़ रुपये प्रदान करे।
स्टालिन ने चेन्नई के नजदीक चेंगलपेट में एक सरकारी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘कल आपने टेलीविजन पर संसदीय कार्यवाही देखी होगी। वह अहंकार से कह रहे हैं कि तमिलनाडु को 2,000 करोड़ रुपये तभी दिए जाएंगे, जब हिंदी और संस्कृत को स्वीकार किया जाएगा। कौन? वह केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान थे।’’
उन्होंने कहा कि राज्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध कर रहा है क्योंकि यह तमिलनाडु में शिक्षा के विकास को पूरी तरह से नष्ट कर देगा।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, ‘‘एनईपी में विद्यार्थियों को शिक्षा के दायरे में लाने के बजाय, उन्हें शिक्षा से दूर करने की कार्ययोजना बनाई गई है।’’
उन्होंने शिक्षा के मामले में केंद्र सरकार के प्रभुत्व को स्थापित करने वाले इस एनईपी की आलोचना की और उसका विरोध करने के कई कारण गिनाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा में सांप्रदायिकता का प्रवेश, शिक्षा का निजीकरण, ऐसी स्थिति पैदा करना जिसमें केवल अमीर लोग ही उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें, छोटे बच्चों के लिए भी सार्वजनिक परीक्षा, कला, विज्ञान और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिए नीट जैसी प्रवेश परीक्षा आदि इसके विरोध के कारणों में हैं।
स्टालिन ने कहा कि इन सभी कारकों पर विचार करने के बाद ही तमिलनाडु इस बात पर अड़ा है कि वह एनईपी को स्वीकार नहीं करेगा।
उन्होंने अपना आरोप दोहराया कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एनईपी को स्वीकार करने के लिए राज्य को ब्लैकमेल किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि तमिलनाडु इसे स्वीकार नहीं करेगा।
स्टालिन ने कहा, ‘‘मैंने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि हम आपकी विनाशकारी नागपुर योजना को स्वीकार नहीं करेंगे, भले ही आप 10,000 करोड़ रुपये (राज्य को देय लगभग 2,000 करोड़ रुपये से अधिक) प्रदान करें। मैं यहां फिर से यही कह रहा हूं।’’
भाषा धीरज रंजन
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