शिव की नगरी में बना नेताजी सुभाष चंद्र बोस का देश में पहला मंदिर, दलित महिला होगी मंदिर की पुजारी

शिव की नगरी में बना नेताजी सुभाष चंद्र बोस का देश में पहला मंदिर, दलित महिला होगी मंदिर की पुजारी

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  • Publish Date - January 22, 2020 / 09:26 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:34 PM IST

लखनऊ। भगवान शंकर की नगरी में मंदिरों का निर्माण कोई नई बात नही है, लेकिन जब यह मंदिर किसी देवी देवता का न होकर देश को परतंत्रता की बेड़ियों से आजाद कराने में अहम भूमिका निभाने वाले महापुरूष का हो तो फिर यह नई बात जरूर हो जाती है। वाराणसी में नेता जी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर मंदिर का निर्माण किया गया है।
 
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आने वाली 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 123वीं जयंती मनाई जाएगी। इस मौके पर वाराणसी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर बनाए गए मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा, जिले में आजाद हिंद मार्ग स्थित सुभाष भवन में आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार मंदिर का उद्घाटन करेंगे।

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बताया जा रहा है कि बोस के नाम पर बने इस मंदिर की महंत एक दलित महिला होंगी, रोज सुबह आरती कर भारत माता की प्रार्थना के साथ मंदिर का पट खुलेगा और उसी के साथ रात्रि भारत माता की प्रार्थना कर मंदिर का पट बंद कर दिया जाएगा। सुभाष भवन के बाहरी हिस्से में 4/4 स्क्वॉयर फिट के क्षेत्रफल में बोस के नाम पर मंदिर बनाया गया है।

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इस मंदिर की ऊंचाई 11 फिट है, जिसमें सुभाष चंद्र बोस की आदम कद प्रतिमा स्थापित की गई है, प्रतिमा का निर्माण ब्लैक ग्रेनाइट से किया गया है, मंदिर की सीढ़ियों, आधार और प्रतिमा को खास रंग दिया गया है, सीढ़ी का रंग लाल और आधा सफेद है। लाल रंग क्रांति का प्रतीक, सफेद शांति का और काला शक्ति का प्रतीक है।

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नेता जी सुभाष चन्द्र बोस को बनाने के पीछे लोगों के मन में देश प्रेमी की भावना को जागृत करना है, इसी के साथ लोगों को मंदिर में नेताजी से जुड़े इतिहास को पढ़ने का मौका मिलेगा, आरएसएस का कहना है कि मंदिर से लोगों के मन में देश प्रेम की भावना पहुंचेगी।