अब वित्त मंत्री के पद से भी हो सकता है इस्तीफा, राजनीति सन्यास का भी लगाया जा रहा कयास

अब वित्त मंत्री के पद से भी हो सकता है इस्तीफा, राजनीति सन्यास का भी लगाया जा रहा कयास

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  • Publish Date - July 11, 2021 / 09:55 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:52 PM IST

कोलकाता, 11 जून (भाषा) प्रख्यात अर्थशास्त्री और तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमित मित्रा पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा दे सकते हैं और यहां तक कि खराब स्वास्थ्य के कारण सक्रिय राजनीति से संन्यास भी ले सकते हैं। पार्टी के सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। मित्रा 2011 से राज्य के वित्त मंत्री हैं, जब टीएमसी वाम मोर्चे के 34 साल लंबे शासन को खत्म करने के बाद सत्ता में आयी थी। मित्रा (73) ने इस साल विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ा था।

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टीएमसी के वरिष्ठ नेता ने गोपनीयता की शर्त पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘अमित दा राज्य के वित्त मंत्री के पद पर नहीं बने रहेंगे। उन्हें चार नवंबर को निर्वाचित हुए बिना इस पद पर बने हुए छह महीने पूरे हो जाएंगे। उन्होंने पहले ही पार्टी नेतृत्व को सूचित कर दिया है कि वह खराब सेहत के कारण राजनीति और प्रशासन में बने रहना नहीं चाहते।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के जोर देने पर मित्रा ने इस साल मई में तीसरी बार पार्टी के सत्ता में लौटने के बाद राज्य के वित्त मंत्री का प्रभार संभाल लिया था।’’

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एक अन्य टीएमसी नेता ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि मित्रा के इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री अगला वित्त मंत्री नियुक्त होने तक कुछ समय के लिए इस विभाग को अपने पास रखेंगी। मित्रा 2011 से उत्तर 24 परगना में खारदा निर्वाचन क्षेत्र से दो बार विधायक रहे। वित्त विभाग के अलावा उन्होंने 2014 से 2021 तक उद्योग विभाग भी संभाला। खराब स्वास्थ्य के कारण मित्रा फरवरी में लेखानुदान पेश किये जाने और पिछले हफ्ते राज्य का बजट पेश किये जाने के दौरान मौजूद नहीं रहे। हालांकि, बजट उन्होंने ही तैयार किया था लेकिन उनकी तरफ से फरवरी में मुख्यमंत्री ने लेखानुदान और पिछले हफ्ते राज्य के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने बजट पेश किया था।

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भारतीय उद्योग एवं वाणिज्य महासंघ (फिक्की) के पूर्व महासचिव मित्रा 2009 से बनर्जी की फैसला लेने वाली टीम का हिस्सा रहे हैं। पश्चिम बंगाल में 2011 में पार्टी के सत्ता में आने के बाद मित्रा को बनर्जी की मंत्रिपरिषद् में शामिल किया गया और उन्हें कर्ज के बोझ से दबे राज्य के वित्त विभाग का प्रभार दिया गया।