(सुप्रतीक सेनगुप्ता और सप्तर्षी बनर्जी)
कोलकाता, 18 जून (भाषा) हर साल मां दुर्गा की कई मूर्तियां कोलकाता से विदेश भेजी जातीं हैं लेकिन इस साल विदेश भेजने के लिए तैयार कम से कम दो मूर्तियां पारंपरिक नहीं बल्कि विषय आधारित हैं।
पश्चिम बंगाल में कई पूजा आयोजक एक ‘विषय’ चुनते हैं जो आम तौर पर समकालीन होता है और उनके पंडाल, मूर्तियां और प्रकाश व्यवस्था इस विषय को उभारते हैं।
इस साल त्योहारी मौसम के लिए फाइबरग्लास की मूर्ति अमेरिका ले जाये जाने के लिए तैयार है, हालांकि दुबई भेजी जाने वाली मूर्ति में कुछ समय लगेगा क्योंकि इसे पूरा किया जाना बाकी है।
बाकी, लगभग 100 की संख्या में मूर्तियां पूर्वी महानगर से यूरोपीय देशों, अमेरिका और जापान सहित दुनिया भर के विभिन्न स्थानों पर भेजी जाएंगी और इनकी शैली पारंपरिक है।
मूर्तिकारों ने कहा कि मूर्तियों को तैयार करते समय वे पारंपरिक शैली से विचलित नहीं हुए हैं क्योंकि बंगाली प्रवासी समुदाय से जुड़े आयोजक पारंपरिक रूप को तरजीह देते हैं।
न्यूजर्सी में बेहाला इलाके में पूजा आयोजक ‘उत्सव इंक.’ के लिए ‘वसुंधरा’ (धरती माता) विषय को निष्पादित करने वाले प्रसिद्ध मूर्तिकार भावतोष सुतार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि वह फाइबरग्लास से पिछले छह महीने से एक ऐसी मूर्ति तैयार कर रहे हैं, जो बैठी हुई स्थिति में है।
सुतार ने कहा, ‘‘मेरी जानकारी में यह पहली बार है जब किसी विषय पर आधारित मूर्ति को देश के बाहर भेजा जा रहा है।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘मैंने पारंपरिक मूर्तियों को बनाने में कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई, जो कि बंगाल के बाहर रहने वाले लोगों द्वारा आयोजित पूजा में आदर्श पसंद है और वे प्रयोग नहीं करना चाहते थे।’’
उत्तरी कोलकाता के कुमारतुली में मूर्ति निर्माण की प्रक्रिया में लगे कलाकार कौशिक घोष ने कहा कि उन्हें विदेशों से 37 सामुदायिक दुर्गा पूजा के लिए ऑर्डर मिले हैं, जिनमें एक दुबई से भी शामिल है, जो विश्व शांति को दर्शाने वाले विषय पर आधारित है।
घोष ने कहा कि 12 फुट की मूर्ति बैठी हुई स्थिति में है और कमल पर आसीन है, जिसे पूरा होने में कुछ और दिन लगेंगे।
भाषा अमित शफीक
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