कोलकाता, सात जून (भाषा) अपने जैसे स्थापित नेताओं को जीतने योग्य निर्वाचन क्षेत्रों से चुनौतीपूर्ण चुनावी मैदानों में स्थानांतरित करने के पीछे के औचित्य पर सवाल उठाने के बाद भाजपा नेता दिलीप घोष ने शनिवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट डाला, जिससे पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई में ‘पुराने बनाम नए’ बहस की अटकलें शुरू हो गईं।
घोष ने एक्स पर एक गोपनीय संदेश पोस्ट किया, “ओल्ड इज गोल्ड (पुराना ही दमदार है)”।
घोष ने पहले कहा था कि पार्टी द्वारा पुराने नेताओं को दरकिनार करना गलती थी और चुनाव में हार का सामना तो करना ही पड़ता क्योंकि नए और अनुभवहीन नेता फैसले ले रहे हैं।
इस चुनाव में राज्य में भाजपा की लोकसभा सीटों की संख्या 2019 में 18 से घटकर 12 रह गई, जब घोष भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। भारतीय जनता पार्टी ने इस बार 42 में से 30 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था।
घोष को बर्धमान-दुर्गापुर सीट पर तृणमूल कांग्रेस के कीर्ति आजाद के हाथों लगभग 1.38 लाख वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
घोष ने इससे पहले कहा था कि अब यह स्थापित हो चुका है कि उन्हें उनके पुराने निर्वाचन क्षेत्र मेदिनीपुर से चुनाव लड़ने के लिए भेजना “एक गलती थी”।
उन्हें उनकी विजयी सीट मेदिनीपुर से बर्धमान-दुर्गापुर स्थानांतरित कर दिया गया, जहां तृणमूल के खिलाफ मुकाबला काफी कठिन था।
घोष ने बर्धमान-दुर्गापुर सीट पर एस.एस. अहलूवालिया की जगह चुनाव लड़ा था। अहलूवालिया ने आसनसोल से चुनाव लड़ा था। आसनसोल दक्षिण सीट से पार्टी की मौजूदा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने मेदिनीपुर में घोष की जगह चुनाव लड़ा था।
हाल ही में संपन्न चुनावों में भाजपा के तीनों उम्मीदवारों को तृणमूल उम्मीदवारों के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
भाषा प्रशांत माधव
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