Supreme Court to MBBS Students: “प्राइवेट कॉलेज से किया हैं MBBC इसलिए नहीं करेंगे गाँवों में काम”.. मांग रहे थे NOC, अब कोर्ट ने लगाई जमकर फटकार..
क्या निजी संस्थाओं पर राष्ट्र निर्माण का कोई दायित्व नहीं होता है? क्या इसलिए छूट दे दी जाए कि आप निजी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे हैं।
One year compulsory rural service of MBBS doctor
One year compulsory rural service of MBBS doctor: नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार की तरफ से एक अधिसूचना को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल पूछा है कि क्या कोई मेडिकल छात्र सिर्फ इस आधार पर ग्रामीण सेवा से छूट मांग सकता है क्योंकि उसने निजी मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की है? दरअसल कर्नाटक के एक डीम्ड विश्वविद्यालय की निजी सीटों से एमबीबीएस डिग्री की पढ़ाई करने वाले पांच मेडिकल छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका पर जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संजय करोल की अवकाश पीठ सुनवाई कर रही है।
याचिका में क्या है
मेडिकल छात्रों ने याचिका में इस चीज की मांग की है कि वो निजी मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई की है तो उन्हें एक साल की अनिवार्य ग्रामीण सेवा से छूट मिलनी चाहिए। उनकी मांग है कि सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सेवाओं के आयुक्त कार्यालय को ये निर्देश दे कि वे बिना अनिवार्य ग्रामीण सेवा का शपथ पत्र दिए बिना छात्रों को एनओसी जारी कर दे। याचिकाकर्ताओं की वकील मीनाक्षी कालरा ने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक मेडिकल काउंसिल को निर्देश दे कि वो याचिकाकर्ताओं को स्थायी पंजीकरण दे।
SC ने लगाई फटकार
One year compulsory rural service of MBBS doctor: याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कैसी छूट है? आप इसलिए ग्रामीश ईलोकों में जाकर 1 साल के लिए काम नहीं कर सकते क्योंकि कि आप अमीर हैं और निजी डिकल कॉलेज में पढ़ते हैं। क्या आप सोचते हैं कि निजी मेडिकल कॉलेजों को ग्रामीण इलाकों में काम करने के लिए मजबूर करने की जरूरत नहीं है? जस्टिस नरसिम्हा ने कहा, सिर्फ इसलिए किसी को ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने से छूट नहीं देंगे कि वो निजी कॉलेज में पढ़ता है।। क्या निजी संस्थाओं पर राष्ट्र निर्माण का कोई दायित्व नहीं होता है? क्या इसलिए छूट दे दी जाए कि आप निजी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे हैं।

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