Cabinet Formation Rules: देश में बन सकते हैं सिर्फ इतने ही मंत्री, कैबिनेट, स्वतंत्र प्रभार और राज्यमंत्री में होता है ये अंतर, जानें यहां सबकुछ
देश में बन सकते हैं सिर्फ इतने ही मंत्री, कैबिनेट और राज्यमंत्री में होता है ये अंतर, Only 80 MPs can become ministers in the Indian govt
Cabinet Formation Rules
नई दिल्लीः Cabinet Formation Rules एनडीए संसदीय दल के नेता के रूप में नरेन्द्र मोदी को चुना गया है। वे आज शाम सवा सात बजे राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण करेंगे। उनके साथ ही कुछ कैबिनेट व राज्य मंत्री भी शपथ लेंगे। जब भी ऐसा मौका आता है तो आपके मन में सवाल के उठते होंगे कि नाराजगी दूर करने के लिए प्रधानमंत्री अपने मन के मुताबिक संख्या में बढ़ोतरी करके ज्यादा से ज्यादा नेताओं को मंत्री क्यों नहीं बना देते? तो चलिए जानते हैं कि आखिर प्रधानमंत्री मंत्रियों की संख्या में बढ़ोतरी क्यों नहीं कर सकते हैं..
Cabinet Formation Rules दरअसल, मंत्रियों की संख्या संविधान के नियम के अनुसार तय की जाती है। लोकसभा सीटों की संख्या को देखते हुए तय की जाती है। संविधान के 91 वें संशोधन अधिनियम के तहत प्रधानमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या कुल सांसदों के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। लोकसभा में 543 सदस्य है, यानी कैबिनेट में 81-82 सांसदों को मंत्री बनाया जा सकता है। जबकि न्यूनतम 12 सांसदों को मंत्री बनाया जा सकता है।
मंत्रालयों या विभागों की संख्या हो सकती है अलग-अलग
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मंत्रियों की संख्या सीमित होने के बावजूद, भारत का संविधान केंद्र सरकार के मंत्रालयों (विभागों) की संख्या पर कोई विशेष सीमा नहीं लगाता है। प्रशासनिक आवश्यकताओं, नीतिगत प्राथमिकताओं और प्रधानमंत्री के विवेक के आधार पर मंत्रालयों या विभागों की संख्या अलग-अलग हो सकती है। प्रभावी शासन सुनिश्चित करने के लिए कार्यकारी निर्णयों के माध्यम से मंत्रालयों का निर्माण, विलय या विघटन किया जा सकता है।
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कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री में अंतर
कैबिनेट मंत्रीः कैबिनेट मंत्रियों के पास महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी होती है। यह मंत्री कैबिनेट बैठक में शामिल होते हैं। साथ ही प्रधानमंत्री को सीधे रिपोर्ट करते हैं। कैबिनेट मंत्रियों के पास एक से अधिक विभाग भी हो सकते हैं।
राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार): कैबिनेट मंत्री के बाद राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का नंबर आता है। ये भी सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं। मंत्रालय की सारी जिम्मेदारी इनकी होती है। स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री कैबिनेट मंत्री के प्रति उत्तरदायी नहीं होते हैं। ये कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं होते हैं।
राज्य मंत्रीः कैबिनेट मंत्रियों की सहायता के लिए राज्य मंत्री मनाया जाता है। यह मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री के जूनियर के तौर पर कार्य करते हैं और प्रधानमंत्री के बजाए कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट करते हैं। राज्य मंत्री कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं होते हैं।

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