ईटानगर, 16 अप्रैल (भाषा) अरुणाचल प्रदेश में आरक्षित वन क्षेत्रों में अतिक्रमण पर चिंता व्यक्त करते हुए राज्यपाल के. टी. परनाइक ने बुधवार को कहा कि मुआवजा नहीं, बल्कि बेदखली ही इसका एकमात्र समाधान है।
आरक्षित वनों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार की पहल की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे इसके क्रियान्वयन में गंभीरता और दक्षता दिखाएं।
परनाइक ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश एक ‘‘हरित राज्य’’ है और यहां के वनों को हर कीमत पर सुरक्षित रखा जाना चाहिए।
उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) उपकरणों और उपग्रह मानचित्रण की मदद से आरक्षित वनों की नियमित निगरानी तथा इनके संबंध में उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एनई-एसएसी) की विशेषज्ञता का लाभ उठाने की वकालत की।
राज्यपाल ने यह भी कहा कि भूमि या वन मंजूरी में देरी के कारण कोई भी कल्याणकारी परियोजना रुकनी नहीं चाहिए।
उन्होंने पर्यावरण एवं वन विभाग, राजधानी क्षेत्र और पापुम पारे जिला प्रशासन तथा ईटानगर नगर निगम से होलोंगी हवाई अड्डे से राज्य की राजधानी तक सड़क किनारे बड़े पैमाने पर पौधारोपण अभियान शुरू करने को कहा।
राजभवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक पी सुब्रमण्यम ने राज्यपाल को राज्य में आरक्षित वनों की स्थिति और उनके संरक्षण एवं प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
भाषा नेत्रपाल अविनाश
अविनाश