नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) संसद ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने के प्रावधान वाले विधेयक को बुधवार को मंजूरी दे दी तथा सरकार ने दावा किया कि इस विधेयक के प्रावधानों से देश के बीमा क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा।
राज्यसभा ने ‘सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) विधेयक, 2025’ पर चर्चा और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जवाब के बाद इसे ध्वनि मत से स्वीकृति दे दी। इसके साथ ही सदन ने विपक्ष द्वारा पेश विभिन्न संशोधनों को खारिज कर दिया। इन संशोधनों में विधेयक को प्रवर समिति में भेजने का प्रस्ताव भी शामिल था।
लोकसभा इस विधेयक को एक दिन पहले ही पारित कर चुकी है।
विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि बीमा विधेयक में अब तक 12 बार संशोधन हो चुके हैं तथा संशोधन भी कई तरह के होते हैं और ये देश की तरक्की एवं बीमा क्षेत्र की जरूरतों को प्रदर्शित करते हैं।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में आम लोगों और किसानों की सुरक्षा के उपाय किए गए हैं। उन्होंने दावा किया कि इस विधेयक के प्रावधानों से देश के बीमा क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा।
सीतारमण ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों की सुरक्षा के पुख्ता प्रावधान किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तीन बीमा कंपनियों की बेहतरी के लिए 17 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए और इस तरह के कदम से इनकी स्थिति में काफी सुधार हुआ है।
वित्त मंत्री ने कहा कि 100 प्रतिशत एफडीआई किए जाने से ऐसी विदेशी कंपनियों के लिए भारत आने का रास्ता खुलेगा, जिन्हें अलग-अलग कारणों से संयुक्त उपक्रम सहयोगी नहीं मिलते हैं।
नौकरियों को लेकर कुछ सदस्यों की चिंताओं को दूर करते हुए, सीतारमण ने कहा कि, इसके उलट, रोज़गार के अधिक अवसर मिलेंगे।
मंत्री ने विपक्ष के उन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि सरकार विधेयक पारित कराने में जल्दबाजी कर रही है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में लगभग दो साल तक विचार विमर्श किया गया।
सीतारमण ने कुछ विपक्षी सदस्यों के इन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि प्रीमियम की राशि विदेशी कंपनियों के पास जाएगी। उन्होंने कहा कि बीमा क्षेत्र को खोलने से बेहतर प्रौद्योगिकी और बेहतर उत्पाद सुनिश्चित होंगे। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से बीमा एजेंट को भी मदद मिलेगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि विधेयक के कानून का रूप लेने पर भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को अधिक स्वायत्तता मिलेगी तथा उसे फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि विधेयक का मसौदा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझा किया गया था।
सीतारमण ने कहा कि जीएसटी परिषद सचिवालय माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कटौती का लाभ बीमाधारकों तक नहीं पहुंचने से संबंधित शिकायतों की जांच कर रहा है।
उनके मुताबिक, बीमा विधेयक में पुनर्बीमा कंपनियों के लिए शुद्ध स्वामित्व निधि की आवश्यकता को 5,000 करोड़ रुपये से घटाकर 1,000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव है।
उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आम आदमी को वहनीय मूल्य पर बीमा लाभ मिल सके, इसलिए कई योजनाएं शुरू की गयी है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा नियमों में सुधार किए जाने से बीमा दावों के सुगम निस्तारण में मदद मिली है।
सीतारमण ने कहा कि बीमा योजनाओं में महिलाओं की भूमिका को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एक पहल ‘बीमा सखी’ के रूप में शुरू की गयी। इस योजना को दिसंबर 2024 में प्रधानमंत्री ने शुरू किया।
उन्होंने कहा कि उन्हें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि इस योजना के तहत लगभग 2.20 लाख महिलाओं को बीमा एजेंट के तहत प्रशिक्षित और तैनात किया गया जो अपने लिए आजीविका कमा रही हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि बीमा कंपनियों द्वारा अर्जित किये गए अवैध लाभों को वापस लेने और प्रभावित बीमा पॉलिसीधारकों को वितरित करने के लिए आईआरडीएआई को सशक्त बनाया जा रहा है।
यह विधेयक बीमा अधिनियम, 1938, जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956 और बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 में संशोधन करने के लिए लाया गया है।
विधेयक में कहा गया है कि संशोधन से बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 74 प्रतिशत से बढ़कर 100 प्रतिशत हो जाएगी।
विधेयक के अनुसार, बीमा क्षेत्र में एफडीआई को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने के बावजूद शीर्ष अधिकारियों में से एक-अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक या सीईओ- भारतीय नागरिक होना चाहिए।
यह एक गैर-बीमा कंपनी के बीमा कंपनी में विलय का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीते शुक्रवार को इस विधेयक को मंजूरी दी थी।
विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के अनुसार, इसके माध्यम से बीमा क्षेत्र की वृद्धि और विकास में तेजी लाना और पॉलिसीधारकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
इसमें कहा गया है कि इससे बीमा कंपनियों, मध्यस्थों और अन्य हितधारकों के लिए व्यापार करने में आसानी होगी, विनियमन बनाने में पारदर्शिता आएगी और क्षेत्र पर नियामक निगरानी बढ़ेगी।
कंपनी के अध्यक्ष और अन्य पूर्णकालिक सदस्यों के कार्यकाल के संबंध में विधेयक पांच साल के कार्यकाल या उनके 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक का प्रावधान करता है।
वर्तमान में पूर्णकालिक सदस्यों के लिए ऊपरी आयु सीमा 62 वर्ष है, जबकि अध्यक्ष के लिए यह 65 वर्ष है।
वित्त मंत्री ने इस साल के बजट भाषण में नयी पीढ़ी के वित्तीय क्षेत्र संबंधी सुधारों के हिस्से के रूप में बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया था।
भाषा माधव अविनाश
अविनाश सुरेश
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