सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों की पूर्ण पेंशन बहाल करने के अनुरोध वाली याचिका पर जवाब तलब

सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों की पूर्ण पेंशन बहाल करने के अनुरोध वाली याचिका पर जवाब तलब

  •  
  • Publish Date - September 19, 2025 / 08:22 PM IST,
    Updated On - September 19, 2025 / 08:22 PM IST

नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र और राज्य सरकारों से उस याचिका पर जवाब तलब किया, जिसमें सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों की पूर्ण पेंशन को ‘कम्यूटेड पेंशन’ राशि की वसूली के तुरंत बाद बहाल करने का अनुरोध किया गया है, न कि 15 साल की मौजूदा अवधि के बाद।

‘कम्यूटेड पेंशन’ से आशय उस एकमुश्त राशि से है, जिसे सेवानिवृत्त व्यक्ति एक निर्धारित समय के लिए अपनी मासिक पेंशन का एक हिस्सा कटवाकर हासिल करता है।

प्रधान न्यायाधीश बीआर गवाई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने अखिल भारतीय सेवानिवृत्त न्यायाधीश संघ (एआईआरजेए) की ओर से पेश अधिवक्ता गोपाल झा की दलीलों पर गौर किया।

झा ने कहा कि मौजूदा नीति के कारण पूर्व न्यायिक अधिकारी नुकसान की स्थिति में हैं।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी करें।”

पूरे देश के राज्य स्तरीय सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों के संघों का प्रतिनिधित्व करने वाले एआईआरजेए ने अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ की ओर से न्यायिक अधिकारियों की सेवा शर्तों और पेंशन संबंधी लाभों के सिलसिले में 2015 में दायर एक लंबित मामले को लेकर शीर्ष अदालत का रुख किया।

एआईआरजेए, जिसका प्रतिनिधित्व उसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एन सुकुमारन कर रहे हैं, ने कहा कि ‘कम्यूटेशन’ का विकल्प चुनने वाले पेंशनभोगियों को सेवानिवृत्ति के समय आवास, बच्चों की शिक्षा या शादी के खर्च जैसी तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए एकमुश्त राशि मिलती है।

उसने कहा कि सरकार बाद में यह राशि पेंशन में कटौती के माध्यम से किस्तों में वसूलती है, जो कि ईएमआई के जरिये ऋण के भुगतान के समान है।

एआईआरजेए ने कहा कि नियमों के मुताबिक पूर्ण पेंशन बहाल होने से पहले 15 साल की अवधि तक ‘कम्यूटेड पेंशन’ की राशि काटी जाती है।

हालांकि, उसने कहा कि आठ फीसदी प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित पूरी मूल राशि 11 साल से कम समय में पूरी तरह से वसूल कर ली जाती है।

एआईआरजेए ने कहा कि इस अवधि के बाद भी कटौती जारी रखना “मनमाना और अनुचित” है तथा इससे पेंशनभोगियों से वह धनराशि वसूली जाती है, जो उन पर कभी बकाया ही नहीं थी।

याचिका में पीठ से “पूर्ण पेंशन की बहाली की अवधि से जुड़े मुद्दे पर विचार करने” का आग्रह किया गया है।

इसमें अनुरोध किया गया है, “प्रतिवादियों (केंद्र और राज्यों) को निर्देश दिया जाए कि वे सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों से ब्याज सहित गणना राशि वसूल होने के बाद पूर्ण पेंशन बहाल करें तथा इसके विपरीत सभी सरकारी आदेश, ज्ञापन, परिपत्र और नियमों को रद्द करें।”

भाषा पारुल नरेश

नरेश