उत्तर भारत का मैदानी हिस्सा वायुमंडलीय अमोनिया का हॉटस्पॉट :आईआईटी खड़गपुर का अध्ययन

उत्तर भारत का मैदानी हिस्सा वायुमंडलीय अमोनिया का हॉटस्पॉट :आईआईटी खड़गपुर का अध्ययन

उत्तर भारत का मैदानी हिस्सा वायुमंडलीय अमोनिया का हॉटस्पॉट :आईआईटी खड़गपुर का अध्ययन
Modified Date: November 29, 2022 / 08:14 pm IST
Published Date: December 3, 2020 10:48 am IST

नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर के अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक कृषि की अत्यधिक गतिविधियों और उर्वरक के उत्पादन के चलते उत्तर भारत का मैदानी हिस्सा वायुमंडलीय अमोनिया (एनएच3) का वैश्विक हॉटस्पॉट है।

‘भारत में वायुमंडलीय अमोनिया का रिकार्ड उच्च स्तर: स्थानिक एवं अस्थायी विश्लेषण’ शीर्षक वाला अध्ययन अंतरराष्ट्रीय जर्नल ‘साइंस ऑफ द टोटल इनवायरोन्मेंट’ में भी प्रकाशित हुआ है।

आईआईटी की टीम ने यह अध्ययन भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान,पुणे के अनुसंधानकर्ताओं और कुछ यूरोपीय अनुसंधानकर्ताओं के साथ किया है।

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टीम ने स्थान आधारित फसल प्रबंधन अपनाने और उर्वरकों के मौसमी प्रतिबंध की भी सिफारिश की है।

आईआईटी खड़गपुर के सागर, नदी, वायुमंडल केंद्र में प्राध्यापक जयनारायणन कुट्टीप्पुरथ ने कहा, ‘‘अत्यधिक मात्रा में अमोनिया वाले उर्वरकों को मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक वस्तु माना जाता है। अपने तरह के पहले अध्ययन में कृषि क्षेत्र से उत्सर्जित होने वाली अमोनिया का विश्लेषण हमने किया है और इसके नतीजे वैश्विक पर्यावरणविदों की इन आशंकाओं के अनुरूप है कि उत्तर भारत का मैदानी हिस्सा वायुमंडलीय अमोनिया का हॉटस्पॉट है।’’

उन्होंने कहा है कि कृषि संबंधी उत्सर्जन से एकत्र किए गये उपग्रहीय आंकड़ों से वायुमंडलीय अमोनिया की मौजूदगी प्रदर्शित होती है।

भारत में 2008-2016 के बीच वायुमंडलीय अमोनिया की मौसमी विविधता का अध्ययन करने के लिए उपग्रहीय आंकड़ों का उपयोग किया गया।

अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि खरीफ फसल की अवधि में (जून से अगस्त तक) वायुमंडलीय अमोनिया सालाना 0.08 प्रतिशत की दर से बढ़ा।

कुट्टीप्पुरथ ने कहा कि वायुमंडलीय अमोनिया मुख्य रूप से कृषि गतिविधियों से पैदा होता है, जिनमें नाइट्रोजन वाले उर्वरकों का इस्तेमाल, खाद प्रबंधन, मिट्टी एवं जल प्रबंधन तथा पशुपालन गतिविधियां शामिल हैं।

भाषा सुभाष नरेश

नरेश


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