प्रधानमंत्री मोदी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के गलत इस्तेमाल और साइबर आतंकवाद पर जताई चिंता |

प्रधानमंत्री मोदी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के गलत इस्तेमाल और साइबर आतंकवाद पर जताई चिंता

प्रधानमंत्री मोदी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के गलत इस्तेमाल और साइबर आतंकवाद पर जताई चिंता

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Modified Date: September 23, 2023 / 10:52 PM IST
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Published Date: September 23, 2023 10:52 pm IST

नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गलत उद्देश्यों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के इस्तेमाल, साइबर आतंकवाद और धन शोधन को लेकर शनिवार को चिंता जताई।

मोदी ने यहां अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि ये खतरे सीमाओं और अधिकार क्षेत्र को नहीं पहचानते। उन्होंने इनसे निपटने के लिए विभिन्न देशों की कानूनी रूपरेखा के बीच सहयोगात्मक प्रयासों का आह्वान किया।

मोदी ने कहा, ‘‘जब खतरा वैश्विक है, तो उससे निपटने का तरीका भी वैश्विक होना चाहिए।’’

प्रधानमंत्री ने हवाई यात्रा सुनिश्चित करने के लिए सभी देशों की हवाई यातायात नियंत्रण प्रणालियों के बीच सहयोग का उदाहरण दिया और कहा कि इन खतरों से निपटने के लिए वैश्विक ढांचा तैयार करना किसी एक सरकार या देश का काम नहीं है।

मोदी ने कहा कि चाहे वह साइबर आतंकवाद हो, धन शोधन हो, कृत्रिम बुद्धिमत्ता हो या इसका दुरुपयोग हो, ऐसे कई मुद्दे हैं जहां सहयोग के लिए वैश्विक ढांचे की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि यह केवल किसी एक सरकार या प्रशासन का मामला नहीं है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार जितना संभव हो सके, आसान तरीके से और भारतीय भाषाओं में कानून बनाने की दिशा में ईमानदारी से प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि जिस भाषा में कानून लिखे जाते हैं और अदालती कार्यवाही की जाती है, वह न्याय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

मोदी ने कहा कि भारत 2047 तक एक विकसित देश बनने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है और इस बाबत एक मजबूत एवं निष्पक्ष न्याय प्रणाली की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत के प्रति दुनिया का विश्वास बढ़ाने में निष्पक्ष न्याय की बड़ी भूमिका है।

कानून प्रणाली पर मोदी ने कहा कि कानून लिखने और न्यायिक प्रक्रिया में जिस भाषा का इस्तेमाल किया जाता है, वह न्याय सुनिश्चित करने में एक बड़ी भूमिका निभाती है।

उन्होंने विधि क्षेत्र के लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘भारत सरकार में हम लोग सोच रहे हैं कि कानून दो तरीके से पेश किया जाना चाहिए। एक मसौदा उस भाषा में होगा, जिसका आप इस्तेमाल करते हैं। दूसरा मसौदा उस भाषा में होगा, जिसे देश का आम आदमी समझ सकता है। उन्हें अपनी भाषा में कानून समझ आना चाहिए।’’

मोदी ने कहा कि न्याय प्रणाली के जिस पहलू पर सबसे कम चर्चा की गई है, वह भाषा और कानून को आसान बनाया जाना है।

उन्होंने कहा कि सरकार कानूनों को आसान और आम आदमी की समझ में आने लायक बनाने का प्रयास कर रही है, लेकिन व्यवस्था उसी ढांचे में बनी है तथा वह उसे इस ढांचे से बाहर निकालने का प्रयास कर रहे हैं।

मोदी ने कहा कि उन्हें काफी कुछ करना है और इसके लिए बहुत वक्त है, ‘‘इसलिए मैं यह करता रहूंगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने डेटा सुरक्षा कानून के साथ इसकी शुरुआत कर दी है।’’

प्रधानमंत्री ने वादी को किसी भी फैसले का वस्तुनिष्ठ हिस्सा उसकी ही भाषा में उपलब्ध कराने के उच्चतम न्यायालय के निर्णय का भी स्वागत किया।

उन्होंने कहा, ‘‘देखिए, इस छोटे से कदम के लिए भी 75 साल लग गए और मुझे भी इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा।’’

मोदी ने अपने फैसलों का कई स्थानीय भाषाओं में अनुवाद करने के लिए उच्चतम न्यायालय की सराहना की।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे देश के आम लोगों को काफी मदद मिलेगी। अगर कोई डॉक्टर अपने मरीज से उसकी भाषा में बात करता है, तो आधी बीमारी वैसे ही ठीक हो जाती है। यहां भी हमें ऐसी ही प्रगति करनी है।’’

भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, ब्रिटेन के न्याय संबंधी अधिकारी एलेक्स चॉक केसी, भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा और उच्चतम न्यायालय के कई न्यायाधीश समेत अन्य अधिकारी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

मोदी ने प्रौद्योगिकी, सुधारों और नयी न्यायिक व्यवस्थाओं के माध्यम से कानूनी प्रक्रियाओं में सुधार पर भी जोर दिया।

विधि समुदाय की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायपालिका और बार भारत की न्याय प्रणाली के लंबे समय से संरक्षक रहे हैं और वे भारत की आजादी में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, बी आर आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल भी वकील थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन ऐसे वक्त में हो रहा है, जब भारत कई ऐतिहासिक क्षणों का गवाह बना है।

संसद में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यह महिलाओं की अगुवाई में विकास को एक नयी दिशा तथा ऊर्जा देगा। उन्होंने जी20 शिखर सम्मेलन और सफल चंद्रयान मिशन की भी बात की।

वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) पर उन्होंने कहा कि व्यवसायिक लेनदेन की बढ़ती जटिलता के कारण एडीआर तंत्र ने पूरी दुनिया में लोकप्रियता हासिल की है।

भारत में विवाद समाधान की अनौपचारिक परंपरा को व्यवस्थित करते हुए सरकार ने मध्यस्थता पर एक कानून लागू किया है। इसी तरह लोक अदालतें भी बड़ी भूमिका निभा रही हैं और उन्होंने पिछले छह वर्ष में करीब सात लाख मामलों का निपटारा किया है।

भाषा

देवेंद्र पारुल

पारुल

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)