pmla court hearing Parth-Arpita have been sent to ED custody till August 3

पार्थ चटर्जी और अर्पिता को नहीं मिली राहत, अब इतने दिनों के लिए ED कस्टडी में भेजा गया

Partha Chatterjee and Arpita : टीचर भर्ती घोटाले में बुरी तरह से फंसे पश्चिम बंगाल के कैबिनेट मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता...

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:33 PM IST, Published Date : July 26, 2022/12:57 am IST

Partha Chatterjee and Arpita : टीचर भर्ती घोटाले में बुरी तरह से फंसे पश्चिम बंगाल के कैबिनेट मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी को PMLA कोर्ट में सोमवार को पेश किया गया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए पार्थ और अर्पिता को 3 अगस्त तक ईडी की कस्टडी में भेज दिया है। कोर्ट में ईडी का कहना था कि ये सीरियस स्कैम है। इन दोनों से पूछताछ की जानी जरूरी है। इस केस में अभी करीब 22 करोड़ बरामद हो गए हैं, जबकि 100 करोड़ से ज्यादा की रिकवरी और होनी है। ईडी का ये भी कहना है कि अर्पिता ने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया है कि कैश पार्थ का है।

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कोर्ट में ASG ने कहा कि ये एक गंभीर घोटाला है। हम ईडी की फुल कस्टडी की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि इस घोटाले में अपात्र अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र बांटे गए हैं। इन लोगों ने रिश्वत दी है। ED ने दो जगहों पर तलाशी ली है। एक पार्थ चटर्जी और दूसरी अर्पिता चटर्जी के ठिकानों पर। इस दौरान ज्वाइंट सेल डीड भी मिली है। सेल डीड में संयुक्त नामों का भी जिक्र है। वहीं, अर्पिता के वकील नीलाद्री भट्टाचार्जी ने बताया कि उन्होंने आज जमानत याचिका दायर नहीं की है। सिर्फ शॉट टर्म PC की मांग की है।

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ईडी ने कोर्ट में अर्पिता और पार्थ चटर्जी दोनों की 14 दिन की हिरासत मांगी थी। ईडी ने कहा था कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि पार्थ चटर्जी की ‘करीबी सहयोगी’ अर्पिता मुखर्जी ‘वित्तीय गड़बड़ी’ के लिए करीब 12 फर्जी कंपनियां चला रही थीं। ASG ने आगे कहा कि इससे पता चलता है कि दोनों संयुक्त रूप से संपत्ति खरीद रहे थे। हमने अर्पिता के फ्लैट के दस्तावेज पार्थ के घर से बरामद किए हैं। इसका जब्ती सूची में उल्लेख किया गया है। पार्थ चटर्जी का अर्पिता मुखर्जी से नियमित संपर्क है। पार्थ ने अवैध रूप से पंचनामा फाड़ दिया। वे जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। इतना ही नहीं, पार्थ लगातार मोबाइल फोन के जरिए अर्पिता के संपर्क में था। ये संयुक्त नामों से खरीदारी कर रहे थे। पार्थ ने अपनी गिरफ्तारी के कागजों पर हस्ताक्षर करने से भी इनकार कर दिया था।

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