बच्ची के साथ क्रूर दुष्कर्म के मामले में पुलिस की लापरवाही चौंकाने वाली: अदालत

बच्ची के साथ क्रूर दुष्कर्म के मामले में पुलिस की लापरवाही चौंकाने वाली: अदालत

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  • Publish Date - December 8, 2025 / 08:35 PM IST,
    Updated On - December 8, 2025 / 08:35 PM IST

नयी दिल्ली, आठ दिसंबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने चार साल की बच्ची के साथ हुए क्रूर बलात्कार के मामले की सुनवाई करते हुए सोमवार को पुलिस को फटकार लगाते हुए टिप्पणी कि, ‘‘यह चौंकाने वाला है कि इतने जघन्य और संवेदनशील मामले में वह घोर लापरवाही से काम कर रही है।’’

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित सहरावत पीड़िता को अंतरिम मुआवजा देने के मामले की सुनवाई कर रहे थे। अदालत ने पहले जांच अधिकारी से पीड़ित प्रभाव रिपोर्ट (वीआईआर) तलब की थी।

सरकार की ओर से विशेष लोक अभियोजक आदित्य कुमार पेश हुए।

अदालत ने कहा, ‘‘मामले के संक्षिप्त तथ्य यह हैं कि पीड़िता महज चार साल की है और आरोपी ने उसके साथ क्रूरतापूर्वक दुष्कर्म किया, जिसके कारण पीड़िता के दोनों निजी अंग बुरी तरह चोटिल हुआ और उसे 15-16 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा।’’

अदालत ने कहा कि अपराध इतना जघन्य था कि पीड़िता को भले अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, लेकिन उसके निजी अंग स्वाभाविक रूप से काम नहीं कर रहे हैं, क्योंकि पीड़िता मूत्र और मल त्याग के लिए अपने पेट के किनारे लगाए गए वैकल्पिक पाइपों पर निर्भर है।

अदालत ने कहा कि चिकित्सा प्रक्रिया लगभग एक वर्ष तक जारी रहेगी, लेकिन इस बात की कोई निश्चितता नहीं है कि वह पूरी तरह स्वस्थ हो सकेगी।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा, ‘‘विचारणीय तथ्य यह है कि न तो जांच अधिकारी (आईओ) उपस्थित है, न ही आईओ की ओर से कोई व्यक्ति उपस्थित है, और न ही अग्रिम सूचना के बावजूद कोई वीआईआर दायर की गई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह चौंकाने वाला है कि पुलिस इतने जघन्य और संवेदनशील मामले में इतनी लापरवाही से काम कर रही है। पुलिस का आचरण रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है।’’

अदालत ने जांच अधिकारी और थाना प्रभारी (एसएचओ) के आचरण के लिए उन्हें फटकार लगाते हुए कहा कि पीड़िता और उसके परिवार को पुलिस अधिकारियों की लापरवाही के कारण कष्ट सहने नहीं दिया जा सकता।

इसमें कहा गया कि अंतरिम मुआवजे की कार्यवाही वीआईआर पर विचार किए बिना शुरू की जा रही है।

अदालत ने निर्देश दिया कि आदेश की एक प्रति संबंधित पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को भेजी जाए।

अदालत ने मुआवजे के संबंध में एक अलग आदेश में कहा, ‘‘ पीड़िता की पीड़ा कल्पना से परे है क्योंकि वह सिर्फ चार साल की बच्ची है। यह दर्द और दुःख का सबसे गंभीर रूप है जिससे पीड़िता वर्तमान में गुजर रही है।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में, इस अदालत का कर्तव्य है कि वह पीड़िता और उसके माता-पिता की मदद करे और इस परिवार के दुखों को कुछ हद तक कम करे।’’ उन्होंने रेखांकित किया कि यह अंतरिम मुआवजा दिए जाने का उपयुक्त मामला है।

अदालत ने बच्ची के पिता की दलीलें सुनने के बाद निर्देश दिया कि दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा तत्काल पांच लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा दिया जाए।

भाषा धीरज नरेश

नरेश