स्वास्थ्य योजनाओं के कारण साल में 50 हजार करोड़ रुपये बचाने में कामयाब रहे गरीब और जरूरतमंद : मोदी

स्वास्थ्य योजनाओं के कारण साल में 50 हजार करोड़ रुपये बचाने में कामयाब रहे गरीब और जरूरतमंद : मोदी

  •  
  • Publish Date - March 7, 2021 / 08:25 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:59 PM IST

नयी दिल्ली, सात मार्च (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार ने किफायती दवाएं उपलब्ध कराने और चिकित्सा उपकरणों की कीमत कम करने जैसे कदम उठाए जिसके कारण गरीब और जरूरतमंद लोग सालाना 50,000 करोड़ रुपये तक बचत करने में कामयाब रहे हैं।

Read More: रेत माफिया अब भी बेलगाम! इतनी चौकसी के बाद भी क्यों नहीं हो पा रहा माफिया पर कंट्रोल?

मोदी ने शिलांग में पूर्वोत्तर इंदिरा गांधी क्षेत्रीय स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विज्ञान संस्थान में 7,500वां जन औषधि केंद्र राष्ट्र को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये समर्पित करते हुए कहा कि जन औषधि योजना के तहत देश भर में किफायती दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

जन औषधि योजना के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए देश में एक मार्च से सात मार्च तक जनऔषधि सप्ताह मनाया जा रहा है।

उन्होंने इस अवसर पर डिजिटल माध्यम से कहा कि इससे पूर्वोत्तर के जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सहायता मिल रही है।

मोदी ने कहा, “आज 7500वें केंद्र का उद्घाटन किया जा रहा है और यह शिलांग में हो रहा है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि पूर्वोत्तर में जन स्वास्थ्य केंद्रों का कितनी तेजी से विस्तार हो रहा है।”

Read More: Road Safety World Series 2021: जमकर बोला सचिन-सहवाग का बल्ला, बांग्लादेश लेजेंड्स को 10 विकेट से हराया

प्रधानमंत्री ने देश के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से बातचीत की और कहा, “जन औषधि केंद्र चलाने वाले लोगों और इसके कुछ लाभार्थियों के साथ मैंने बातचीत की जिससे स्पष्ट हुआ कि यह योजना गरीबों और मध्य वर्ग के परिवारों के लिए बड़ी मददगार साबित हो रही है। यह योजना सेवा और रोजगार दोनों का माध्यम बन रही है।”

स्वास्थ्य को गरीबों और जरूरतमंदों के लिए किफायती बनाने के वास्ते केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि आवश्यक दवाओं और स्टेंट तथा घुटने के ‘इम्प्लांट’ जैसे चिकित्सा उपकरणों की कीमतों को काफी कम कर दिया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “इससे जरूरतमंद लोग 12,500 करोड़ रुपये वार्षिक बचत करने में कामयाब हुए। आयुष्मान भारत योजना से 50 करोड़ लोगों को इलाज के लिए पांच लाख रुपये की सहायता मिल रही है। डेढ़ करोड़ लोग पहले ही इसका लाभ ले चुके हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे लोग 30,000 करोड़ रुपये की बचत करने में कामयाब हुए हैं।”

Read More: भारी पड़ रही नीलामी! क्या धान की नीलामी सरकार को भारी पड़ रही?

उन्होंने कहा, “इसका मतलब है कि यदि हम जन औषधि, आयुष्मान भारत और दवाओं तथा उपकरणों की कीमतों में गिरावट को जोड़ें और स्वास्थ्य क्षेत्र में केवल सरकार की योजनाओं को देखें तो पाएंगे कि गरीब और मध्य वर्ग के लोग सालाना लगभग 50 हजार करोड़ रुपये की बचत करने में कामयाब रहे हैं।”

मोदी ने कहा कि लंबे समय तक स्वास्थ्य को केवल बीमारी और उपचार से जोड़कर देखा जाता रहा है।

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार यह मानती है कि स्वास्थ्य का विषय केवल बीमारी और उसके उपचार तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह देश के संपूर्ण आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने से जुड़ा हुआ है।

Read More: मिस कॉल से शुरू हुई प्रेम कहानी ने नाबालिग को बना दिया कॉलगर्ल, खुद प्रेमी बुलाता था ग्राहक

उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि किसी को भी चिकित्सा विज्ञान के लाभ से वंचित न रखा जाए और जनता के लिए इलाज सस्ता और सुलभ हो सके।

मोदी ने कहा कि इस विचार के साथ आज सरकार नीतियां और कार्यक्रम बना रही है।

मोदी ने कहा कि जन औषधि योजना को प्रोत्साहन देने के लिए इसके तहत दी जाने वाली राशि ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी गई है और अवसंरचनात्मक विकास के लिए महिलाओं, एससी/एसटी और पूर्वोत्तर के लोगों के वास्ते दो लाख रुपये अतिरिक्त दिए गए हैं।

दवाइयों के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश आज विश्व की फार्मेसी है।

Read More: Road Safety World Series 2021: जमकर बोला सचिन-सहवाग का बल्ला, बांग्लादेश लेजेंड्स को 10 विकेट से हराया

उन्होंने कहा, “आज सरकारी अस्पतालों में कोरोना के टीका मुफ्त में दिए जा रहे हैं। निजी अस्पतालों में केवल 250 रुपये में टीका दिया जा रहा है जो विश्व में सबसे सस्ता है। देश को आज अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है कि हमारे पास भारत में निर्मित टीका है और हम इससे विश्व की भी सहायता कर रहे हैं।”

चिकित्सा शिक्षा को प्रोत्साहन देने के विषय पर मोदी ने कहा कि 2014 से पहले देश में एमबीबीएस की 55,000 सीटें थीं और छह साल में इसमें 30,000 की वृद्धि हुई।

उन्होंने कहा कि चिकित्सा पाठ्यक्रमों में परास्नातक की 30,000 सीटें थीं जिनमें 24,000 सीटें और बढ़ गई।

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना का लक्ष्य किफायती दाम में गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराना है।

Read More: 8 मार्च से लगाया जाएगा नाइट कर्फ्यू? जानिए कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर मुख्यमंत्री ने क्या कहा…

उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 (चार मार्च 2021 तक) में नागरिकों के कुल 3,600 करोड़ रुपये की बचत हुई क्योंकि ये दवाएं बाजार की दर से 50-90 प्रतिशत तक सस्ती थीं।