प्रणब मुखर्जी विशिष्ट राष्ट्रीय नेता थे, उनके निधन से देश ने बड़ा राजनेता खो दिया : सरकार
प्रणब मुखर्जी विशिष्ट राष्ट्रीय नेता थे, उनके निधन से देश ने बड़ा राजनेता खो दिया : सरकार
नयी दिल्ली, एक सितंबर (भाषा) सरकार ने मंगलवार को कहा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन होने से देश ने एक विशिष्ट राष्ट्रीय नेता, उत्कृष्ट सांसद और एक बड़ा राजनेता खो दिया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक गजट अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि मुखर्जी को शासन का बेजोड़ अनुभव था।
मुखर्जी का सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में सोमवार को निधन हो गया। वह 84 साल के थे।
अधिसूचना में कहा गया, ‘ श्री मुखर्जी ने हमारे राष्ट्रीय जीवन पर अपनी छाप छोड़ी है। उनके निधन से देश ने एक विशिष्ट नेता, उत्कृष्ट सांसद एवं एक बड़ा राजनेता खो दिया है।’
मुखर्जी अलग-अलग समय में विदेश, रक्षा और वाणिज्य एवं वित्त मंत्री रहे।
अधिसूचना में कहा गया, ‘ भारत के 13वें राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें शासन का अद्वितीय अनुभव था।’
अधिसूचना के मुताबिक, 11 दिसंबर, 1935 को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के एक छोटे से गांव मिरती में जन्मे, मुखर्जी ने कोलकाता विश्वविद्यालय से इतिहास और राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री और कानून की डिग्री प्राप्त की।
उसमें कहा गया है, इसके बाद उन्होंने एक कालेज में शिक्षक और पत्रकार के रूप में कार्य शुरू किया।
अपने पिता के राष्ट्रीय आंदोलन में दिये गए योगदान से प्रेरित होकर, मुखर्जी ने सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया और 1969 में राज्यसभा के लिए चुने जाने के बाद वह पूरी तरह से सार्वजनिक जीवन के प्रति समर्पित हो गए।
मुखर्जी ने 1973-75 के दौरान उद्योग, पोत-परिवहन और परिवहन, इस्पात और उद्योग उप मंत्री तथा वित्त राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया।
उन्होंने 1982 में पहली बार भारत के वित्त मंत्री के रूप में पदभार संभाला और वह 1980 से 1985 तक राज्यसभा में सदन के नेता रहे। वह 1991 से 1996 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे। इसी के साथ 1993 से 1995 तक वाणिज्य मंत्री और 1995 से 1996 तक विदेश मंत्री रहे|
वह 2004 से 2006 तक रक्षा मंत्री रहे। उन्होंने एक बार फिर 2006 से 2009 तक विदेश मंत्री और 2009 से 2012 तक वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया। वह 2004 से 2012 तक लोकसभा में सदन के नेता रहे।
अधिसूचना में कहा गया है कि मुखर्जी ने 25 जुलाई 2012 को भारत के राष्ट्रपति का पद संभाला और अपना पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया। राष्ट्रपति के रूप में, मुखर्जी ने इस उच्च पद की गरिमा को बढ़ाया तथा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर अपने विद्वतापूर्ण और मानवीय दृष्टिकोण की छाप छोड़ी ।
मुखर्जी एक अगाध पुस्तक प्रेमी थे। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था और राष्ट्र निर्माण पर कई पुस्तकें लिखी हैं। उन्हें अनेक पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया गया जिनमें, 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद, 2008 में पद्म विभूषण और 2019 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न शामिल है।
भाषा नोमान आशीष
आशीष

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