नयी दिल्ली, 30 दिसंबर (भाषा) सरकार द्वारा जारी की गई राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति मंत्रालयों और विभागों से कहा गया है कि वे उदार प्रणाली के तहत अपने लिए आवश्यक भू-स्थानिक डेटा के निर्माण और विकास के लिए भारतीय सर्वेक्षण विभाग को मध्यस्थ के रूप में इस्तेमाल करने की जगह निजी क्षेत्र की अधिक से अधिक सेवा लें।
बृहस्पतिवार को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा अधिसूचित राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति में निजी उद्यमों की भागीदारी के साथ देश के लिए एक संपन्न भू-स्थानिक उद्योग के वास्ते 13 बिंदु भी निर्धारित किए गए जिनमें 2030 तक पूरे देश के लिए उच्च सटीकता वाला एक डिजिटल उन्नयन मॉडल और 2035 तक बड़े शहरों एवं नगरों के लिए ‘डिजिटल ट्विन’ बनाना शामिल है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 16 दिसंबर को एक बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा नीति को मंजूरी दी गई थी।
नीति ‘डिजिटल ट्विन’ को एक भौतिक संपत्ति, प्रक्रिया या सेवा की वर्चुअल प्रतिकृति के रूप में वर्णित करती है जो नयी डिजिटल क्रांति के मूल में निहित है।
‘जियोस्पेशियल-अर्थ रिपोर्ट’ में कहा गया है कि घरेलू और निर्यात सहित भारत का भू-स्थानिक बाजार 2019 के 22,940 करोड़ रुपये के आंकड़े से बढ़कर 2025 में लगभग 27,650 करोड़ रुपये का होने का अनुमान है तथा 2030 तक इस क्षेत्र के 63,000 करोड़ रुपये तक बढ़ने की उम्मीद है।
ईएसआरआई इंडिया टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अगेंद्र कुमार ने कहा, ‘‘नीति यह स्पष्ट करती है कि डेटा निर्माण में निजी क्षेत्र को शामिल किया जा सकता है। हालांकि इसकी जिम्मेदारी भारतीय सर्वेक्षण विभाग की है।’’
उन्होंने कहा कि नीति में उद्योग, कई बड़े उपयोगकर्ता संगठनों और शिक्षाविदों द्वारा उठाए गए सभी बिंदुओं को शामिल किया गया है।
कुमार के अनुसार, यह नवाचार, निजी क्षेत्र की भागीदारी पर पर्याप्त ध्यान केंद्रित करती है और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समयबद्ध कार्रवाई की बात कहती है।
अधिसूचना में कहा गया है कि नीति का उद्देश्य एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है, जिससे भारतीय कंपनियों को एक अनुकूल वातावरण प्रदान किया जा सके जो उन्हें अपने स्वयं के भू-स्थानिक डेटा/सूचना के उत्पादन और उपयोग करने में आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ वैश्विक परिदृश्य में विदेशी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाएगा।
इसमें कहा गया है कि सरकार भू-स्थानिक क्षेत्र से संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उचित दिशानिर्देश, रणनीति और कार्यक्रम तैयार करने और लागू करने के लिए शीर्ष निकाय के रूप में एक नयी भू-स्थानिक डेटा संवर्धन और विकास समिति (जीडीपीडीसी) का गठन करेगी।
जीडीपीडीसी, राष्ट्रीय स्थानिक डेटा समिति (एनएसडीसी) और भू-स्थानिक डेटा संवर्धन और विकास समिति के कार्यों और शक्तियों को प्रतिस्थापित और समाहित करेगी।
भाषा नेत्रपाल माधव
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