आईटी नियमों में प्रस्तावित संशोधन प्रेस को दबाने का हथियार : डिजिपब

आईटी नियमों में प्रस्तावित संशोधन प्रेस को दबाने का हथियार : डिजिपब

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  • Publish Date - January 20, 2023 / 10:22 AM IST,
    Updated On - January 20, 2023 / 10:22 AM IST

नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) देश में डिजिटल समाचार संगठनों के संघ ‘डिजिपब’ ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में प्रस्तावित संशोधन संभावित रूप से ‘‘प्रेस को दबाने वाला सुविधाजनक संस्थागत हथियार’’ साबित हो सकता है।

‘डिजिपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन’ ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि सरकार को यह निर्धारित करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए कि कौन-सी सूचना या समाचार असली है और कौन-सी फर्जी।

इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मंगलवार को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया, जिसके तहत सोशल मीडिया कंपनियों से प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) या तथ्य-जांच के लिए केंद्र सरकार की ओर से अधिकृत किसी अन्य एजेंसी द्वारा ‘फर्जी’ करार दिए जाने वाले समाचार लेखों को हटाने के लिए कहने का प्रावधान है।

बयान में कहा गया है, ‘‘डिजिपब का दृढ़ता से मानना है कि गलत सूचना/भ्रामक सूचना के संकट से निपटने की आवश्यकता है। हालांकि, प्रस्तावित संशोधन भारत सरकार को बिना किसी प्रक्रिया के यह पता लगाने के लिए मनमानी और विवेकाधीन शक्ति प्रदान करते हैं कि कोई सामग्री ‘फर्जी’ है या नहीं।’’

डिजिपब ने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए केवल सरकार ही एकमात्र हितधारक नहीं है। बयान में कहा गया है, ‘‘लिहाजा सरकार को यह तय करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए कि कौन-सी सूचना/समाचार असली है और कौन-सी फर्जी।’’

इससे पहले, ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ ने बुधवार को सरकार से आईटी नियमों में प्रस्तावित संशोधनों को ‘वापस लेने’ का आग्रह किया था। उसने सरकार से डिजिटल मीडिया से “फर्जी” समाचार लेखों को हटाने के लिए प्रेस संगठनों, मीडिया कंपनियों और अन्य हितधारकों के साथ ‘सार्थक संवाद’ शुरू करने को भी कहा था।

भाषा

गोला पारुल

पारुल