नयी दिल्ली, 20 दिसंबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने 2024 में जंतर-मंतर पर हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस पर हमले से संबंधित मामले में कांग्रेस की नेता अल्का लांबा पर आरोप तय करने का निर्देश दिया और कहा कि प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना सही है।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अश्वनी पंवार 29 जुलाई, 2024 को जंतर मंतर पर महिला आरक्षण के समर्थन में प्रदर्शन के दौरान सड़क को अवरुद्ध करने और पुलिस को रोकने के लिए कांग्रेस नेता के खिलाफ दर्ज मामले की सुनवाई कर रहे थे।
अदालत ने पांच जनवरी को औपचारिक रूप से आरोप तय करने के लिए मामले को सूचीबद्ध किया है। अभियोजन के अनुसार, लांबा ने अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ मिलकर पुलिस अधिकारियों को धक्का दिया और अवरोधक लांघे, जबकि कुछ ने सड़क को अवरुद्ध किया।
अदालत ने 19 दिसंबर को आरोप तय करने का आदेश दिया और कहा, “आरोपी अल्का लांबा के खिलाफ प्रथम दृष्टया बीएनएस की धारा 132 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का इस्तेमाल ), 221 (सरकारी अधिकारी का विरोध), 223(ए) (लोक सेवक की ओर से विधिवत रूप से जारी आदेश की अवज्ञा), और 285 (सार्वजनिक मार्ग अवरुद्ध करना) के तहत मामला बनता है।”
अदालत ने कहा कि पुलिस और शिकायतकर्ता (हेड कांस्टेबल मनीष) के बयान से यह स्थापित हुआ कि लांबा प्रदर्शन स्थल पर मौजूद थीं और वह प्रदर्शनकारियों को स्वीकृत प्रदर्शन स्थल से बाहर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही थीं।
अदालत ने आरोप मुक्त करने की लांबा की याचिका खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस नेता ने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों और लोक सेवकों दोनों के जीवन, स्वास्थ्य व सुरक्षा को खतरे में डाला।
भाषा जोहेब दिलीप
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